मुजफ्फरनगर। बिना पति की सहमति के पति के नाम से स्टांप खरीद कर संपत्ति अपने नाम करवाने की कोशिश करने वाली महिला अधिवक्ता व ए.आई.जी. स्टांप व्हील्स एंड के विरुद्ध न्यायालय में वाद सं० 1226 सन 2024 दर्ज, जगी फर्जी व ब्लैक में स्टाम्प बेचने वालो पर लगाम लगने की उम्मीद जगी है।
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आज न्यायालय मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट श्रीमती कविता अग्रवाल ने निष्पक्ष व स्वच्छ तुरत न्याय सबके लिए की मिसाल देते हुए महिला अधिवक्ता मीनाक्षी द्विवेदी द्वारा अपने परिवार भाई राजीव द्विवेदी, भाभी रूचि द्विवेदी, बहन तिलोत्मा त्रिपाठी व बुआ गुड्डी के कहने में आकर पति की संपत्ति हड़पने की नीयत से पति अंशुमन शर्मा के नाम से एक फर्जी किसी अज्ञात स्टांप विक्रेता से स्टांप खरीद कर उसे पर संपत्ति स्थानांतरण महिला अधिवक्ता मीनाक्षी द्विवेदी के नाम करने का दबाव बनाने वाली महिला अधिवक्ता मीनाक्षी द्विवेदी व जिला स्टांप अधिकारी ए.आई.जी. स्टांप वीरसेन के विरुद्ध अंशुमान शर्मा द्वारा दर्ज करवाए गए मुकदमे वाद संख्या 1226 सन 2024 की सुनवाई करते हुए एक रिमाइंडर उक्त घटना की जांच / रिपोर्ट के लिए आयुक्त स्टांप उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्चे पर भेजा। आयुक्त स्टांप उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को जवाब देने के लिए दिया गया 26 मार्च 2025 तक का समय।
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गौरतलब हो की उक्त महिला अधिवक्ता ने सन 2011 में बार काउंसिल उत्तर प्रदेश में अपना पंजीकरण करवाया तथा एआईबीए की परीक्षा सन 2023 में दी एवं उसके बल पर स्वयं को अधिवक्ता बताती है व अधिवक्ता मीनाक्षी द्विवेदी के भाई के कथन अनुसार उन्होंने अपने रिश्ते संख्या 2 जोकि अधिवक्ता हाईकोर्ट अच्युत शुक्ला निवासी प्रयागराज के साथ हुआ था, में भी शुक्ला से ₹20 लाख व समस्त जेवरात प्राप्त किए थे तथा अंशुमान शर्मा से रिश्ते से पूर्व प्राप्त रिकॉर्ड अनुसार अधिवक्ता मीनाक्षी द्विवेदी के चार रिश्ते पहले भी हो चुके हैं। और पति द्वारा अपने परिवार में इकलौता होने पर भी सम्पत्ति नाम न करने के कारण महिला अधिवक्ता अपने मित्र से साथ रह रही है।
कचहरी मुजफ्फरनगर परिसर में यह चर्चा है कि उक्त प्रकरण में सख्त कार्यवाही होने से फर्जी स्टांप विक्रेताओं तथा ब्लैक स्टाम्प माफिया पर लगाम लगेगी तथा अनाधिकृत स्टांप न्यायालय के द्वारा संज्ञान लिए जाने के कारण बंद होगी।