मुजफ्फरनगर -उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति के निर्देश देते हैं लेकिन अफसर है कि सुधरने का नाम ही नहीं लेते, ऐसा ही एक मामला मुजफ्फरनगर में बेसिक शिक्षा अधिकारी दफ्तर का सामने आया है।
आरोप है कि ₹30000 की रिश्वत ना मिलने पर बेसिक शिक्षा विभाग में एक अध्यापिका के साथ खेल कर दिया गया है और एक शिक्षिका का चयन उसकी पात्रता के अनुरूप नहीं किया गया है।दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला समन्वयक ने इस तरह के सभी आरोपों को निराधार बताया है।
प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर खुर्द विकासखंड खतौली में कार्यरत अध्यापिका राखी ने मुख्य विकास अधिकारी संदीप भागिया को लिखित शिकायत में बताया कि मुजफ्फरनगर में एआरपी पद पर हिंदी विषय के लिए एक चयन प्रक्रिया होनी थी, जिस चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, सूक्ष्म शिक्षण योजना और साक्षात्कार किया जाना था जिसके जिसके माध्यम से चयन होना था।
उन्होंने बताया कि लिखित परीक्षा एवं सूक्ष्म शिक्षण योजना में उन्हें सर्वोच्च अंक प्राप्त हुए थे, लेकिन साक्षात्कार प्रक्रिया में उन्हें षडयंत्रपूर्वक कम अंक देकर बाहर कर दिया गया है। राखी ने आरोप लगाया है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जिला समन्वयक रामेंद्र मलिक ने यह गड़बड़ी कराई है। जिसके उनके पास साक्ष्य भी है।
उन्होंने बताया कि रामेंद्र मलिक ने उन्हें फोन करके उनसे ₹30000 की रिश्वत चयन के लिए मांगी थी, जिसको उन्होंने देने से इंकार कर दिया था जिसके बाद उन्हें साक्षात्कार में कम अंक देकर चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
राखी ने मुख्य विकास अधिकारी को लिखे अपने पत्र में बताया है कि लिखित एवं सूक्ष्म शिक्षण योजना में उनका प्रदर्शन दूसरे अभ्यर्थियों की अपेक्षा बेहतर रहा है जिसका प्रमाण शासन के आदेशानुसार बनाई गई वीडियो में भी मौजूद है जिसमें चयन किए गए अभ्यर्थी से उनके 10-15 अंक अधिक हैं ,लेकिन जिला समन्वयक रामेंद्र मलिक ने पैसे न मिलने पर दूसरे अभ्यर्थी विकास सिंह का चयन करा दिया है।
राखी ने अनुरोध किया है कि उनके और विकास चौहान के साक्षात्कार और सूक्ष्म शिक्षण योजना की वीडियो रिकॉर्डिंग का तुलनात्मक अध्ययन करके उन्हें न्याय दिलाया जाए। उन्होंने बताया कि जब इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला से शिकायत करने गई तो उन्होंने भी उस पर गंभीरतापूर्वक कार्यवाही करने के बजाय रामेंद्र मलिक का ही पक्ष लिया और उनकी शिकायत को सिरे से नजरअंदाज कर दिया।
दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने बताया कि इंटरव्यू बोर्ड में 5 सदस्य बैठे थे जिनके दिए गए नंबर के औसत के आधार पर नियुक्ति की गयी है। उन्होंने कहा कि यदि किसी के विषय में भी किसी तरह की अनियमितता की शिकायत आती है तो उसके विरुद्ध जांच कराकर सख्त कार्यवाही की जाएगी। किसी भी तरह का भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा।
जिला समन्वयक रामेन्द्र मलिक ने बताया कि पांचो सदस्यों के औसत अंकों में राखी को 5.2 और चयनित अभ्यर्थी विकास को 6.4 अंक मिले है जिसके आधार पर नियुक्ति हुई है। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा किसी से कोई रिश्वत नहीं मांगी गयी है , रिश्वत मांगने के आरोप पूरी तरह निराधार है।