मुजफ्फरनगर। इतिहास, रहस्य और रोमांच को समेटे हुए मोती झील अब एक नए स्वरूप में ढलने जा रही है। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की पहल पर झील के कायाकल्प की दिशा में ठोस कदम उठाए जा चुके हैं। पहले चरण में झील की पूरी सफाई का कार्य सफलता से पूर्ण कर लिया गया है और अब दूसरे चरण में झील को एक सुरक्षित, स्वच्छ और आकर्षक पिकनिक स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
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झील के चारों ओर तीन फीट ऊंचा बांध बनाया जाएगा ताकि बारिश के दिनों में बढ़ने वाले जल स्तर से आसपास के क्षेत्र को कोई नुकसान न हो। साथ ही, ब्रिज की ओर से आने वाले गंदे नाले को रोकने के लिए झील में जगह-जगह जालियों की व्यवस्था की जाएगी जिससे कूड़ा और दूषित जल प्रवेश न कर सके। इसके अलावा झील के पानी को स्वच्छ रखने हेतु बायो कल्चर तकनीक अपनाई जाएगी।
शुक्रवार को एडीएम (वित्त) गजेन्द्र सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप और पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के सदस्यों के साथ झील का निरीक्षण किया। इस दौरान झील के सौंदर्यकरण, संरचना और जल संरक्षण से संबंधित योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। वहीं, डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए आर्किटेक्ट की सहायता से डिजाइन का काम शुरू हो गया है।
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डीएम के निर्देश पर शनिवार को तहसील सदर की टीम झील की भूमि का चिन्हीकरण करेगी। सरकारी जमीन पर हो रहे अवैध कब्जों को हटाने की कार्रवाई प्रस्तावित है ताकि झील का मूल क्षेत्र सुरक्षित रह सके।
एडीएम गजेन्द्र सिंह ने जानकारी दी कि तीन चरणों में यह परियोजना पूरी होगी—पहले चरण में सफाई, दूसरे चरण में नाले की सफाई व बांध निर्माण और तीसरे चरण में झील के सौंदर्यकरण का कार्य किया जाएगा। अंतिम चरण में झील के चारों ओर पाथवे, लाइटिंग, बैठने के लिए बेंच और अन्य नागरिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यह स्थान जल्द ही स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों के लिए एक सुंदर और शांत पिकनिक स्पॉट के रूप में उभरने जा रहा है।