शामली। उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में नगर पालिका का एक और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जहाँ सिंचाई विभाग द्वारा नगर पालिका को साफ सफाई एवं रखरखाव के लिए दिए गये नाले के पास स्थित जमीन पर भ्रष्टाचार की नीव पर सैकड़ो अवैध दुकाने खड़ी कर दी गई।
तत्कालीन संयुक्त सचिव द्वारा एक पत्रांक करीब तीन दशक पहले जारी किया गया था। जिसमें कई शर्तों को आधार रखते
हुए सिंचाई विभाग द्वारा यह नाला रखरखाव हेतु नगर पालिका को सौंपा गया था। लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने उक्त शर्तों की अवहेलना करते हुए लोगों से मोटी मोटी रकम वसूल कर नाले के दोनों और भ्रष्टाचार की नींव पर सैकड़ो दुकानों का निर्माण कर दिया। अब योगी सरकार का बुलडोजर सिंचाई विभाग की जमीन को कब्जे से कब तक मुक्त कर पता है, यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है।
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पूरा मामला शामली शहर के बीच से होकर गुजरने वाले नाले का है, जो पूरे शहर की गंदगी का भार संभालता है। उक्त नाले को लेकर संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश लक्ष्मी नारायण द्वारा सन 1990 में मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग मेरठ को एक पत्र लिखा गया था। सन 1990 में लिखा गया पत्र अब वायरल हो रहा है। जिसमें सिंचाई विभाग के नाले को शामली नगर पालिका को हस्तांतरित किए जाने के संबंध में चार शर्तों का पालन किए जाने के निर्देश दिए गए थे, जिसमें सबसे पहली शर्त यह थी कि नाला केवल सफाई एवं रखरखाव करने हेतु ही नगर पालिका शामली को हस्तांतरित किया जाएगा।
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दूसरी शर्त यह है कि सिंचाई विभाग की 26.5 एकड़ भूमि का हस्तांतरण नहीं किया जाएगा। तीसरी शर्त मे लिखा है कि नाले का यह भाग सदैव जल प्रवाह के लिए साफ रहेगा। चौथी एवं महत्वपूर्ण शर्त में लिखा है कि नाले पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। लेकिन वर्तमान समय में नाले के दोनों और सैकड़ो की संख्या में व्यावसायिक भवनों का निर्माण किसी से छिपा नहीं है।
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नगर पालिका परिषद शामली के अधिकारियों द्वारा मोटे दाम वसूल कर इन व्यावसायिक भवनों को बेच दिया है। जिसके चलते उक्त वायरल पत्र के अनुसार तय शर्तों की अवहेलना हुई है। अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नगर पालिका के भ्रष्टाचार रूपी व्यावसायिक भवनों से सिंचाई विभाग की जमीन को कब्जा मुक्त करने के लिए क्या कदम उठाती है यह देखने वाली बात होगी। वही पत्र के वायरल होने से कई भ्रष्टाचारियों की रातों की नींद उड़ गई है। अब यह मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।