देवबंद (सहारनपुर)। तीन दशक पूर्व हुए छह वर्षीय मासूम बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपित को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 55 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवीदयाल शर्मा ने आज जानकारी देते हुए बताया कि 31 अक्टूबर 1992 को गांव तल्हेड़ी बुजुर्ग निवासी शेर सिंह के छह वर्षीय पुत्र पंकज का अपहरण हो गया था।
दो दिन बाद पिता शेर सिंह को डाक द्वारा चिट्ठी मिली थी जिसमें बच्चे को छोड़ने के एवज में डेढ़ लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी। फिरौती मिलने पर मासूम की हत्या कर शव जंगल में फेंक दिया गया था। इस मामले में शेर सिंह ने थाना देवबंद में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने संदेह पर गांव के ही पलेंद्र नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया और उससे पूछताछ की। पलेंद्र ने अपने साथी जमशेद के साथ मिलकर फिरौती के लिए बालक पंकज का अपहरण करने और फिरौती न मिलने पर उसकी हत्या कर लाश को जंगल में फेंक देने की बात स्वीकारी।
आरोपितों की निशानदेही पर पुलिस ने ईख के खेत से बच्चे का क्षत-विक्षत शव बरामद किया था। यह मामला अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रहा था। पलेंद्र के मुकदमे का पूर्व में निर्णय हो चुका था। आज अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश निधि ने थाना नागल के गांव चहलौली निवासी जमशेद को आजीवन कारावास व 55 हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।