बच्चे सबको प्यारे लगते हैं। बच्चों की तुतलाती बोली तथा छोटी-छोटी शरारतें सबका मन मोह लेती हैं लेकिन इन्हीं बच्चों की आदतें जब बिगड़ जाती है तो चाहने वाले लोग भी इनसे कन्नी काट जाते हैं। अत: आवश्यक है कि आपके बच्चों में अच्छी आदतें हों।
बच्चे को समय पर जगाना,दांतों की नियमित सफाई, स्नान, समय पर भोजन तथा पढ़ाई के साथ ही उसे खेलने का भी अवसर दीजिए। इसके साथ ही जरूरी है अनुशासन जिसके बगैर सब गुण अधूरे हैं।
सलीके से चलना, बैठना, बातें करना आदि के साथ ही बड़ों को उचित अभिवादन तथा उनके साथ सभ्य व्यवहार बच्चों को लोकप्रिय बनाता है। बच्चों की प्रत्येक आदत पर नजर रखिए और उनमें बुरी आदत नहीं पड़ने दीजिए। किसी के खिलौने देखकर लेने की जिद करना, किसी को खाते देख खाने की जिद करना, दूसरों के घर जाने पर उनके सामान को बिखेरना आदि आदतें अच्छी नहीं।
हालांकि, अल्प मात्रा में बच्चों में ये गुण स्वाभाविक हैं परंतु अधिकता खलती है। फिर बड़े बच्चों के लिए तो ये आदतें बिल्कुल अस्वाभाविक हैं। किसी के घर जाने पर हल्ला मचाना, कोई वस्तु उठाकर अपने घर ले आना आदि अच्छी बात नहीं। इससे कोई भी आपके बच्चे को न तो दिल से प्यार दे सकेगा, न ही अपने घर आने देना चाहेगा। घर आए मेहमान से मिठाई, टॉफी, चॉकलेट आदि मांगना भी बुरी बात है। इससे आपकी बदनामी भी होती है।
अत: आप अपने बच्चों में बुरी आदतें न पडऩे दें। इसके लिए बच्चों को डांटना या पीटना उचित नहीं। बच्चे प्यार की भाषा अधिक समझते हैं। अत: बच्चों को प्यार से ही उचित-अनुचित का ज्ञान दीजिए। पिटाई से बच्चे बिगड़ते ही हैं। जब बच्चे शांत हों, उन्हें प्यार से समझाइए तथा गंदी आदतों के प्रति सावधान कीजिए।
अगर आपके बच्चे अच्छे स्वभाव के विनम्र तथा अच्छी आदत के होंगे तो अपने परिवार के साथ ही पूरे समाज में प्यार एवं आदर के पात्र बनेंगे। इससे आपको मानसिक शांति तथा खुशी तो मिलेगी ही, आप समाज में भी एक अच्छी मां के रूप में सम्मानित होंगी।