इटावा। अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने कहा है कि उन्हें उस दिन सर्वाधिक गर्व महसूस होगा, जिस दिन अपना देश “ स्पोर्ट्स कंट्री ” के रूप में दुनिया भर में जाना पहचाना जाएगा।
साइना रविवार को इटावा एक स्कूल के वार्षिक खेल समारोह के समापन अवसर पर मुख्य अथिति के रूप में स्कूली छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रही थी। करीब 3 घंटे से अधिक समय तक स्कूल के परिसर में बच्चों और खिलाड़ियों के बीच रही साइना ने कहा कि उन्होंने बचपन में जब बैडमिंटन खेलना आरंभ किया था, तब न तो उनका कोई रोल मॉडल था और न ही उनके पास कोई प्रशिक्षक ही था, मगर उनके माता-पिता की प्रेरणा उनके साथ थी। धीरे -धीरे वह बैडमिंटन में पारंगत होती गई । जब 2010 में वह ओलंपिक में पहली बार पदक जीतने से चूक गईं, तो वह रात भर रोई थी ,मगर सवेरे से ही नई ऊर्जा के साथ प्रेक्टिस में जुट गई थी और फिर उन्होंने देश का नाम गौरवान्वित करने में कोई और कसर नहीं छोड़ी और न ही पीछे मुड़कर देखा।
साइना ने कहा कि आज के बच्चों के लिए रोल मॉडल बनने के लिए खेलों में तेंदुलकर, विराट धोनी आदि खिलाड़ी हैं और मुझ से भी बच्चे प्रेरणा ले सकते हैं। लोगों में अभी भी अपने बच्चों को डॉक्टर ,इंजीनियर आईएएस और पीसीएस बनने की ललक है। मगर अब बच्चे खिलाड़ी बनकर बहुत ऊंचाई पा सकते हैं। न केवल अपने परिवार का बल्कि अपने स्कूल और देश का नाम गौरवान्वित कर सकते हैं।
साइना ने कहा है कि क्रिकेट की तरह बैडमिंटन को लोकप्रिय करने के लिए देशभर में बैडमिंटन अकादमी खोलने की बड़ी जरूरत है। कॉरपोरेट हाउस और सरकार बैडमिन्टन को क्रिकेट की तरह बढ़ावा देने के लिये आगे आए। साइना ने स्कूली बच्चों को नसीहत देते हुए कहा है कि स्कूली बच्चों पर मोबाइल का बुरा प्रभाव पड़ रहा है इससे बचने की बड़ी जरूरत है। मोबाइल के कारण स्कूली बच्चे फील्ड में नही का काम इस ओर ध्यान देने की बड़ी जरूरत है।सोशल मीडिया का यूथ में बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिये माता पिता को आगे आने की बड़ी जरूरत है।
बैडमिंटन की विख्यात अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी साइना ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि वह आज इटावा पहली बार आईं हैं और लोगों के इस प्यार और स्नेह से बेहद ही प्रभावित हैं। उन्होंने अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा कि मैंने खेल को कभी भी टाइमपास नही समझा और हमेशा ही हर खेल में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया जिसमे काफी बार मुझे चोट भी लगी लेकिन मैं फिर से खड़ी हुई और पूरे आत्मविश्वास से खेली और जीती भी ।
उन्होंने बताया कि मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही वे ओलंपिक गेम्स खेल चुकी है लेकिन कभी भी किसी असफलता से डरी नहीं बस हमेशा पूरे आत्म विश्वास के साथ खेलती रही और आज उसका परिणाम साइना नेहवाल के रूप में आप सभी के सामने है।
उन्होंने भारत में क्रिकेट की तरह ही बैडमिंटन को भी बढ़ावा देने की बात कहते हुए कहा कि क्रिकेट की तरह ही आज देश में हर राज्य में एक बैडमिंटन अकादमी बनाने की भी आवश्यकता है तभी देश में अच्छे खिलाड़ी इस खेल में हर राज्य से आगे आ सकेंगे।
उन्होंने इटावा के बच्चों को अपना महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि, खूब खेलो और खूब पढ़ो लेकिन आज की सोशल मीडिया में रील या वीडियो बनाने में अपना कीमती समय बर्बाद मत करो। कुछ ऐसा अच्छा काम करो कि,लोग आपको भी गूगल पर सर्च करें ।
बैडमिंटन क्वीन,अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी साइना नेहवाल ने जैसे ही विद्यालय में प्रवेश किया वैसे ही हजारों लोगों ने करतल ध्वनि से तालियां बजाकर मुस्कुराते हुए उनका अभिवादन किया। सभी मौजूद लोग बैडमिंटन क्वीन साइना नेहवाल की एक झलक पाने और उनके साथ सेल्फी लेने को बेहद बेताब दिखे ।