नोएडा। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर आज सेक्टर-2 से 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं एसटीएफ ने कल सेक्टर-132 से अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरोह द्वारा इंटरनेशनल वॉइस कॉल को निजी सर्वर में लैंड कराकर कॉल कराई जा रही थी।
इससे भारत सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा था। कल हुई गिरफ्तारी में गिरोह का सरगना हरियाणा के जनपद गुरुग्राम निवासी आशुतोष बोरा है, जो पूर्व रणजी खिलाड़ी तथा नई सड़क थाना मूलगंज कानपुर के मोहम्मद शोएब व मिर्जापुर के अभिषेक श्रीवास्तव रहा। इनके कब्जे से पांच सीपीयू, चार मोबाइल, वाईफाई राउटर, मैट्रिक्ससाफ्टवेयर, विभिन्न बैंकों के 45 डेबिट और क्रेडिट कार्ड बरामद हुआ है। विभिन्न खातों में आठ लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं। गिरोह पिछले दो वर्ष से सक्रिय था।
स्पेशल टास्क फोर्स (नोएडा यूनिट) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुलदीप नारायण ने बताया कि एक सूचना के आधार पर आज एसटीएफ ने नोएडा के ए-44 सेक्टर-2 स्थित कंपनी के बेसमेंट में चल रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि मौके से अंशु कुमार सक्सेना तथा कन्हैया कुमार झा को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि इनके पास से एक सीपीयू, तीन वाईफाई, टाटा एसएमएस, स्विच राउटर ,डेल सर्वर, मॉनिटर, पैन कार्ड, कनेक्टिंग केबल आदि बरामद हुआ है। उन्होंने बताया कि दूरसंचार विभाग एवं टाटा टेलिकॉम सर्विसेस लिमिटेड के सदस्यों के साथ मिलकर सेंटर पर छापेमारी की गई।
उन्होंने बताया कि देश की टेलीफोन व्यवस्था को बाइपास कर अंतरराष्ट्रीय फोन वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) से लोकल नेटवर्क पर परिवर्तित कर देश में कई जगह पर बात कराई जा रही थी। जिससे टेलीकाम कंपनी को राजस्व की हानि हो रही थी। एसएसपी ने बताया कि आरोपियों ने पूरा सेटअप बना रखा था। आरोपित टाटा टेलीकाम से कनेक्शन लेकर गेटवे के माध्यम से सर्वर में कनेक्ट कर इंटरनेट से कंट्रोल करते थे। इसके बाद इंटरनेशनल कॉलिंग को इंडिया में गेटवे के माध्यम से लैंड करवाते थे। इसमें विदेश की लोकेशन शो नहीं होती थी लेकिन टाटा टेलीकाम का नंबर नोएडा एसटीडी कोड से दिखता था।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि आरोपी खाड़ी देशों यानी सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत, ओमान बहरीन आदि से आने वाली कॉल को डायवर्ट कराकर दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों के लोगों को कॉलिंग करा रहे थे। खाड़ी देशों में रहने वाले लोग स्वजन से कम पैसे में बात कर रहे थे। फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज से भारत सरकार को हर महीने लाखों रुपये का नुकसान हो रहा था। आरोपित बिना भारत सरकार के परमिशन और बिना जानकारी के ही सर्वर और अन्य तकनीकी माध्यमों से अलग टेलीकाम लाइन चला रहे थे।