मेरठ। हाईकोर्ट से गैर जमानती वारंट के मामले में मेरठ शहर विधानसभा से सपा विधायक रफीक अंसारी को जेल भेज दिया गया है। अब विधायक रफीक अंसारी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
मेरठ सपा विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ मुकदमे छिपाने के आरोपों के मामले में जांच शुरू हो गई है। सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी ने सभी थाना प्रभारियों से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। भाजपा नेताओं द्वारा रफीक अंसारी पर 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र में मुकदमों की संख्या छिपाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई है। वहीं जमानत के लिए उनके अधिवक्ता ने आज बृहस्पतिवार को जिला जज की अदालत में अर्जी डाली है। जेल में बंद रफीक अंसारी से बुधवार को परिजनों ने मिलाई की थी।
1992 में हापुड़ रोड पर मीट की दुकानों को लेकर अंसारी और कुरैशी बिरादरी के लोग आमने-सामने आ गए थे। भीड़ ने तोड़फोड़ करते हुए आगजनी कर दी थी। इस मामले में लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाने में दो मुकदमे दर्ज किए गए थे।
विवेचना में पुलिस ने सन 1995 में 22 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किए थे।
जिसमें रफीक अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। जिसके चलते सन 1997 में उनके गैर जमानती वारंट जारी हुए। इसके बाद उनके 101 गैर जमानती वारंट जारी हुए। सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत कुर्की प्रक्रिया के बावजूद भी रफीक कोर्ट में पेश नहीं हुए। रफीक इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए लेकिन वहां से राहत नहीं मिली।
हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिए कि रफीक अंसारी को गिरफ्तार कराकर कोर्ट में पेश कराएं। जिसके बाद एडीजी जोन डीके ठाकुर ने एसएसपी को कमेटी गठित करके गिरफ्तारी करने को कहा।
गत सोमवार को पुलिस ने विधायक रफीक अंसारी को बाराबंकी से गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने रफीक अंसारी को मेरठ कोर्ट में पेश किया। जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उनको मेरठ जेल भेज दिया था।