लखनऊ- उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन में भी जल्द टूट होगी और राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल होंगे और जल्द ही केंद्रीय मंत्री बनेंगे, साथ ही समाजवादी पार्टी में भी बड़ी फूट होगी और सपा विधायक भी बीजेपी में शामिल होंगे।
यह दावा रिपल्बिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष व केन्द्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने लखनऊ में किया है जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में सरगर्मी तेज हो गई है। रामदास अठावले ने रविवार को लखनऊ में पत्रकारों से वार्ता करते हुए देश के राजनीतिक हालात पर बेबाक चर्चा की। महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पंवार के बीजेपी गठबंधन की सरकार में शामिल होने के बाद रामदास अठावले ने दावा किया है कि महाराष्ट्र ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी बहुत जल्द राजनीतिक उठापटक होगी।
उन्होंने कहा कि अजीत पवार की तरह यूपी में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भी सपा अध्यक्ष अखिलेश को झटका दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि एनसीपी की तरह सपा में भी फूट होने के आसार हैं । उन्होंने यह भी संभावना जताई कि जयंत जल्द ही भाजपा के साथ आ सकते हैं।
अठावले ने कहा कि यूपी में सपा के विधायकों में चर्चा है कि अखिलेश के साथ रहने से कोई फायदा नहीं है। उनकी सत्ता जल्दी नहीं आएगी। जब तक मोदी और योगी हैं, तब तक अखिलेश को मौका नहीं मिलेगा। इसीलिए देश के विकास, एकता के लिए एनडीए के साथ आने की लोग सोच रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में यूपी -बिहार के कई दलों के नेता बीजेपी में शामिल होंगे। रालोद मुखिया जयंत चौधरी भी बीजेपी के साथ आएंगे। इसीलिए वह विपक्षी पार्टियों की बैठक में नहीं गए।” उनका कहना है कि अखिलेश यादव के MLA में भी फूट हो सकती है। शिवपाल यादव भी खुश नहीं हैं। बहुत सारे MLA बीजेपी के साथ आ सकते हैं। भविष्य में ऐसा UP में हो सकता है।
दरअसल पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में यह राजनीतिक चर्चा गर्म है कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से खफा हैं। उनकी नाराजगी बिना गठबंधन से चर्चा किए कई लोकसभा क्षेत्रों में प्रभारी घोषित कर दिए जाने से है। स्थानीय निकाय चुनाव में भी समाजवादी पार्टी द्वारा बिना गठबंधन में चर्चा के अपने प्रत्याशी घोषित करने से पहले भी गठबंधन में तल्खी का माहौल बना था अब लोकसभा के लिए प्रभारी घोषित किए जाने से भी रालोद खफा है।
रालोद के सूत्रों का कहना है समाजवादी पार्टी द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद के प्रभावी क्षेत्र में भी अपने लोकसभा प्रभारी घोषित कर दिए गए हैं जो अपने अपने लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय भी हो गए। पश्चिम उत्तर प्रदेश में रालोद के प्रभाव वाली सीट पर रालोद के प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेंगे और बिना रालोद की मंजूरी के वहां समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशी घोषित कर रही है तो ऐसे में गठबंधन का औचित्य क्या है ?
नाराजगी की मुख्य वजह मुजफ्फरनगर, कैराना और बिजनौर जैसी रालोद के प्रभुत्व वाली सीटें हैं, जहां समाजवादी पार्टी ने मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, कैराना से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन और बिजनौर से विधायक स्वामी ओमवेश को अपना लोकसभा प्रभारी बना दिया है और उन्हें लोकसभा चुनाव की तैयारी करने का निर्देश दे दिया है,जिसके बाद से सपा और रालोद खेमे में खटास का माहौल है और भारतीय जनता पार्टी इसका फायदा लेना चाहती है।
सूत्रों के मुताबिक यदि जल्द ही दोनों राष्ट्रीय नेताओं में समन्वय नहीं हुआ तो संभवत जुलाई में ही होने वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में रामदास अठावले की घोषणा सत्य भी साबित हो सकती है और जयंत चौधरी केंद्र सरकार में मंत्री बन सकते है।