Saturday, November 23, 2024

केसीआर का पीएम मोदी से आग्रह, दिल्ली सेवा मामलों पर अध्यादेश वापस लें

हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द करने के लिए जारी अध्यादेश को वापस लेने का आग्रह किया। अध्यादेश को दिल्ली के लोगों के दिए जनादेश का अपमान बताते हुए उन्होंने घोषणा की कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए केंद्र द्वारा लाए जाने वाले विधेयक का संसद में विरोध करेगी।

केसीआर ने अपने दिल्ली के समकक्ष अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। केजरीवाल और मान केंद्र द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल को प्रशासक के रूप में अधिक अधिकार देने वाला अध्यादेश पारित किए जाने के खिलाफ बीआरएस का समर्थन लेने के लिए केसीआर से मुलाकात की थी।

केसीआर ने कहा, “हम प्रधानमंत्री से अध्यादेश वापस लेने की मांग करते हैं। इसे अनावश्यक रूप से मुद्दा न बनाएं। दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार को काम करने दें।”

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिल्ली के लोगों का अपमान किया है, क्योंकि उन्होंने आम आदमी पार्टी सरकार को काम करने के लिए जनादेश दिया है।

केसीआर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं करने के लिए मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “यह आपातकाल की ओर एक कदम है। वास्तव में, यह स्थिति आपातकाल से भी बदतर है। केंद्र को होश में आना चाहिए और अध्यादेश वापस लेना चाहिए।”

यह कहते हुए कि कर्नाटक के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सबक सिखाया है, केसीआर ने कहा कि आने वाले चुनावों में अन्य राज्यों के लोग भी इसे सबक सिखाएंगे, उन्होंने टिप्पणी की कि जब कुछ गलत होता है तो समूचा भारत जवाब देता है।

बीआरएस नेता ने कहा, “अगर भारत सरकार ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करे, तो देश का क्या होगा? आप देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार विभिन्न तरीकों से गैर-भाजपा सरकारों वाले राज्यों में समस्याएं पैदा कर रही है, जैसे कि केंद्र से मिलने वाले धन को रोकना और राज्यपाल के पद का दुरुपयोग करना।

केजरीवाल ने समर्थन के लिए केसीआर को धन्यवाद देते हुए याद किया कि आप ने फरवरी 2015 में अपनी पहली सरकार बनाई थी और उसी साल मई में केंद्र ने अध्यादेश लाकर सेवा संबंधी मामलों में सरकार की शक्तियां छीन ली थीं।

उन्होंने कहा, “हम इसके खिलाफ लड़ते हुए आठ साल तक अदालतों के चक्कर लगाते रहे। जब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच ने पक्ष में 5-0 का आदेश दिया, तो केंद्र ने इसे रद्द करने के लिए एक अध्यादेश जारी कर दिया। जब पीएम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करेंगे, तब सुप्रीम कोर्ट का मायने क्या रह जाएगा और न्याय के लिए लोग कहां जाएंगे।”

आप नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि वे अगर उनकी मर्जी के खिलाफ सरकार चुनेंगे, तो उसे वह चलने नहीं देंगे।

उन्होंने कहा, “यह पूरे देश में हो रहा है। वे विधायकों को खरीदकर या उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करके या राज्यपालों का दुरुपयोग करके गैर-भाजपा सरकारों को गिरा रहे हैं।”

केजरीवाल ने इसे देश के लिए खतरनाक स्थिति बताते हुए कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए और लोकतंत्र को बचाने के लिए है।

उन्होंने कहा, “हम विभिन्न दलों से समर्थन मांगने के लिए देशभर में जा रहे हैं। हम राज्यसभा में लाए जाने पर विधेयक को हराना चाहते हैं। राज्यसभा में 238 सांसद हैं और भाजपा के पास केवल 93 सांसद हैं। जब विपक्षी दल विधेयक को हराने के लिए एकजुट होते हैं, तो यह 2024 के चुनाव से पहले सेमीफाइनल होगा।”

भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में जब राज्यपाल ने बजट सत्र बुलाने से इनकार कर दिया तो आप सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

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