नई दिल्ली। केजरीवाल को अभी जेल में ही रहना होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत पर रोक लगा दी है। जस्टिस सुधीर कुमार जैन की वेकेशन बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का आदेश सही नहीं है। उसे सभी दस्तावेज पर गौर करना चाहिए था।
हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 45 की दो शर्तों का पालन नहीं किया है। ट्रायल कोर्ट को ईडी को दलीलें रखने का पर्याप्त मौका देना चाहिए। ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों को सही ढंग से नहीं लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट की ओर से अंतरिम जमानत चुनाव प्रचार के लिए दी गई थी। ऐसे में उस आदेश का हवाला व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए नहीं दिया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने 21 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट का पूरा आदेश ही गलत है। ईडी के मुताबिक ट्रायल कोर्ट ने ईडी की दलीलों और साक्ष्यों पर बिल्कुल गौर नहीं किया और न ही कानून के मुताबिक फैसला दिया। ईडी ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 2023 के बाद के जुटाए गए साक्ष्यों पर ध्यान नहीं किया और फैसला कर दिया। ईडी ने कहा था कि उसने 13 आंगड़िया, गोवा के आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बयानों को अनदेखा करते हुए केजरीवाल को जमानत देने का आदेश दिया।
ईडी ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसे जमानत का विरोध करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं देकर मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 के शर्त का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को हाई कोर्ट की ओर से ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश के खिलाफ केजरीवाल की ओर से दायर याचिका पर 26 जून तक सुनवाई टाल दी थी।