Saturday, May 18, 2024

फरिश्ते योजना पर उपराज्यपाल का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण : सौरभ भारद्वाज

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नई दिल्ली। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा फरिश्ते योजना से जुड़े आरोपों का खंडन करने के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, “योजना पर उपराज्यपाल का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है।”

एक बयान में भारद्वाज ने कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उपराज्यपाल को भी उनके अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है।”

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फरिश्ते योजना के तहत लाभार्थियों की वार्षिक संख्या और व्यय बताते हुए, मंत्री ने कहा कि 2018-19 में 1,540, वर्ष 2019-20 में 4,418, 2020-21 में 6,131, 2021-22 में 5,456, 2022 -23 में 3,698 और अप्रैल 2023 से इस साल अक्टूबर तक 2,212 लोग लाभान्वित हुए।

मंत्री ने कहा कि 2018-19 में 2.74 करोड़ रुपये, 2019-20 में 9.4 करोड़ रुपये, 2020-21 में 9.5 करोड़ रुपये, 2021-22 में 5.95 करोड़ रुपये और 2022-23 में 4.85 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष अप्रैल से अक्टूबर तक योजना के तहत 2.08 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस डेटा से स्पष्ट है कि 2018 में लॉन्च होने के बाद इस योजना के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ने लगी।

वर्ष 2020-21 में यह संख्या 6,131 तक पहुंच गई और फिर वर्ष 2021-22 में घटकर 5,456 हो गई। भारद्वाज ने कहा कि वर्ष 2022-23 में यह और घटकर 3,698 हो गया और तब इस मामले को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मनीष सिसोदिया ने बहुत गंभीरता से उठाया था।

उन्होंने कहा, इसी तरह की गिरावट की प्रवृत्ति स्वास्थ्य विभाग द्वारा फरिश्ते योजना पर किए गए खर्च में भी दिखाई देती है।

उन्होंने कहा कि एलजी को गलत जानकारी दी गई है कि इस साल अक्टूबर तक 3.54 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि केवल 2.08 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

भारद्वाज ने कहा, “स्वास्थ्य विभाग ने विधानसभा प्रश्न के उत्तर में यह भी बताया है कि फरिश्ते योजना के लिए 8 करोड़ रुपये लंबित हैं।”

भारद्वाज ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि फरिश्ते योजना पूरी तरह से चालू हो और इसकी पूरी क्षमता से उपयोग किया जाए, उन्होंने स्वास्थ्य सचिव, डीजीएचएस और स्वास्थ्य विभाग के अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं।

मंत्री ने कहा,”हालांकि, बैठकों में मौखिक निर्देशों के बावजूद, स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। बाद में, मैंने स्वास्थ्य सचिव को कई लिखित निर्देश भेजे, लेक‍िन स्‍वास्थ्य सचिव और डीजीएचएस द्वारा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है।”

उन्होंने कहा कि इसकी सराहना की जानी चाहिए कि नागरिकों को सड़क दुर्घटनाओं के अज्ञात पीड़ितों की मदद करने के लिए प्रेरित करने काेेए बड़े प्रयास और जागरूकता अभियान चलाने पड़े।

उन्होंने कहा,”हालांकि, निजी अस्पतालों को फरिश्ते बिलों का भुगतान न करने के कारण सैकड़ों दुर्घटना पीड़ितों को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया। इसका उन अच्छे लोगों की प्रेरणा पर एक बड़ा प्रभाव पड़ा है, जो अज्ञात दुर्घटना पीड़ितों को निजी अस्पतालों में ले गए होंगे और उन्हें प्रवेश से इनकार का सामना करना पड़ा होगा।“

उन्होंने कहा, इसलिए मैं उपराज्यपाल से फिर से अनुरोध कर रहा हूं कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए और भुगतान करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि फरिश्ते योजना विफल न हो।

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