सहारनपुर- दलित राजनीति की बदौलत चार बार उत्तर प्रदेश में सरकार बना चुकी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिये मौजूदा लोकसभा चुनाव जनाधार बढ़ाने के लिहाज से भी कड़ा इम्तिहान साबित होगा।
बसपा ने अभी तक अपने 25 उम्मीदवारों की घोषणा की है, उन्होंने जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं उसमें उनकी चिंता अपने गिरते वोट बैंक को रोकने और अपने जनाधार में वृद्धि करने की झलक साफ दिखाई देती है।
बसपा प्रमुख मायावती ने अपने कई मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए हैं, जिनमें सहारनपुर के लोकसभा सदस्य फजर्लुरहमान कुरैशी का नाम मुख्य रूप से शामिल है। पिछले तीन चुनावों में उनका मत प्रतिशत लगातार गिर रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने 10 सीटों के साथ 19.43 फीसद वोट पाया था। तब उनका सपा से गठबंधन था लेकिन 2022 के विधान सभा चुनावों में उन्होंने 12.9 फीसद वोट पाए।
उत्तर प्रदेश के करीब तीन करोड़ दलित मतदाताओं में से तब उन्हें एक करोड़ 73 हजार 137 वोट मिले थे और उनका एक विधायक ही चुनाव जीत पाया था। 2017 के विधान सभा चुनावों में बसपा को 22.23 फीसद यानि एक करोड़ 92 लाख 81 हजार 340 मत प्राप्त हुए थे और 19 सीटें मिली थीं।
पार्टी का मुख्य जनाधार दलित वोट बैंक है और दलितों में भी जाटव वर्ग बसपा का काडर वोटर है। 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समीकरणों का ठीक से ध्यान रखा है और जैसे कि आशंका थी कि मायावती के उम्मीदवार भाजपा या एनडीए को लाभ पहुंचाने वाले हो सकते हैं उसके उलट उम्मीदवारों का चयन कर मायावती ने भाजपा हिमायती होने की छवि को ध्वस्त कर दिया है।
मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहले चरण में 19 अप्रैल को होने वाली आठ सीटों में से केवल तीन सीटों सहारनपुर से माजिद अली, मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी और रामपुर से जीशान खान समेत तीन ही उम्मीदवार मुस्लिम उतारे हैं। जबकि कैराना लोकसभा सीट पर उन्होंने राजपूत बिरादरी के श्रीपाल सिंह राणा को उम्मीदवार उतारकर राजपूतों की नाराजगी को भुनाने का काम किया है।
बसपा ने बिजनौर लोकसभा सीट पर जाट बिरादरी के उम्मीदवार बिजेंद्र सिंह को टिकट दिया है और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर अति पिछड़ा समाज के दारा सिंह प्रजापति को उम्मीदवार बनाया है। मुस्लिम बहुल कैराना और मुजफ्फरनगर दोनों सीटों पर बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार ना होने का फायदा कैराना में सपा की इकरा हसन और मुजफ्फरनगर में सपा के हरेंद्र मलिक को मिल सकता है।
सहारनपुर लोकसभा सीट पर मायावती ने अपने सांसद फजर्लुरहमान कुरैशी का टिकट काटकर देवबंद क्षेत्र के वार्ड 32 से जिला पंचायत सदस्य माजीद अली गाढ़ा को टिकट दिया हैं। इस सीट पर सपा समर्थित कांग्रेस के धाकड़ उम्मीदवार इमरान मसूद मैदान में हैं।
मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा से कथित रूप से नाराज त्यागी बिरादरी को खुश करते हुए मेरठ लोकसभा सीट से देवव्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है।
मेरठ लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। इस सीट पर भाजपा ने रामानंद सागर के रामायण सीरियल में श्रीराम की भूमिका निभाने वाले वैश्य बिरादरी के अरूण गोविल को उम्मीदवार बनाया है और समाजवादी पार्टी ने दलित वर्ग के नेता भानू प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
इसी तरह मायावती ने जाट बहुल और चौधरी चरणसिंह के गढ़ बागपत में वैश्य बिरादरी के प्रवीण बंसल को टिकट दिया हैं। मायावती ने राजपूत बहुल गौतम नगर लोकसभा सीट पर बुलंदशहर के लोकप्रिय राजपूत और कभी कांग्रेस के बड़े नेता रहे राजेंद्र सिंह सोलंकी को उम्मीदवार बनाकर राजपूतों को खुश करने का काम किया है। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा हैं। सपा ने अपने पूर्व घोषित उम्मीदवार महेंद्र नागर को बदलकर गुर्जर बिरादरी के राहुल अवाना को टिकट दिया है। जाहिर है यहां भी मुस्लिम उम्मीदवार ना होने का फायदा सपा और बसपा दोनों को मिल सकता है।