नई दिल्ली। शिक्षा क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब कक्षा 5 और कक्षा 8 के कमजोर छात्रों को अनिवार्य कक्षोन्नति (नो-डिटेंशन पॉलिसी) का लाभ नहीं मिलेगा। अगर कोई छात्र इन कक्षाओं की परीक्षा में असफल रहता है, तो उसे दो महीने का अतिरिक्त समय देकर दुबारा परीक्षा पास करने का मौका दिया जाएगा। अगर वह पुनः परीक्षा में भी असफल रहता है, तो उसे उसी कक्षा में दोबारा पढ़ाई करनी होगी।
सरकार का कहना है कि यह निर्णय शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने और छात्रों को जिम्मेदार बनाने के लिए लिया गया है। पहले ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ के तहत किसी भी छात्र को कक्षा 8 तक फेल नहीं किया जाता था। लेकिन अब शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए इस नीति में संशोधन किया गया है।
- प्रथम परीक्षा में असफलता: अगर कोई छात्र कक्षा 5 या 8 में असफल रहता है, तो उसे दो महीने का अतिरिक्त समय दिया जाएगा।
- दूसरी परीक्षा का अवसर: इस समयावधि में छात्र को कमजोर विषयों में सुधार का मौका मिलेगा और पुनः परीक्षा आयोजित की जाएगी।
- पुनः असफलता की स्थिति: अगर छात्र दूसरी परीक्षा में भी असफल रहता है, तो उसे उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा।
सरकार का मानना है कि इस नई व्यवस्था से शिक्षक छात्रों की पढ़ाई पर और अधिक ध्यान देंगे। कमजोर छात्रों को समय रहते उनके कमजोर विषयों में सुधार के लिए अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।
अभिभावकों को भी इस नई नीति के तहत जागरूक और जिम्मेदार बनने की जरूरत है। उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना होगा ताकि वे दोबारा परीक्षा में सफल हो सकें।
कुछ शिक्षाविदों और विपक्षी दलों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह नीति छात्रों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आवश्यक है।