नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने आधुनिक और परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों की संयुक्त अनुसंधान पर जोर देते हुए कहा है कि इससे विभिन्न क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य देखभाल सेवा के अंतर को समाप्त किया जा सकता है।
मांडविया सोमवार को यहां राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 27 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आयुष के क्षेत्र में अनुसंधान की बहुत आवश्यकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल की सेवा उचित और किफायती रूप से पहुंचा जा सकती है। अनुसंधान के माध्यम से आधुनिक और परंपरागत शिक्षण पद्धतियों का अंतर भी समाप्त किया जा सकता है।
इस अवसर पर मांडविया ने देश भर के चुनिंदा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान – एम्स में आयुष – आईसीएमआर ‘एडवांस्ड सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव हेल्थ रिसर्च’ (एआई-एसीआईएचआर) की स्थापना की घोषणा की। चार चयनित स्थानों पर पांच एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान (एआई-एसीआईएचआर) के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र की शुरुआत की। उन्होंने आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों का भी लोकार्पण भी किया।
ये अनुसंधान केन्द्र दिल्ली, नागपुर, जोधपुर और ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शुरू किए गये।