नई दिल्ली/इम्फाल। मेइती समुदाय का मुख्य नागरिक समाज संगठन मणिपुर इंटीग्रिटी समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग और मणिपुर को विभाजति करने के कथित प्रयासों के विरोध में 6 अगस्त को दिल्ली में एक विरोध-प्रदर्शन का आयोजन करेगी।
दिल्ली मेइती समन्वय समिति (डीएमसीसी) के संयोजक सेराम रोजेश और प्रवक्ता खुराइजम अथौबा ने कहा कि देश के लोगों को पता होना चाहिए कि मणिपुर की अखंडता को खतरा राष्ट्रीय हित के खिलाफ है और भारत की एकता इसकी विविधता में है।
उन्होंने जातीय आधार पर मणिपुर के विभाजन का कड़ा विरोध करते हुए कहा़, “भारत को सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना चाहिए, चाहे वह धार्मिक हो या नार्को-आतंकवाद। मणिपुर की पहाड़ियाँ एक और स्वर्णिम त्रिभुज नहीं हो सकतीं।”
विभिन्न कुकी आदिवासी संगठन और भाजपा के सात विधायकों सहित मणिपुर के 10 आदिवासी विधायक आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहे हैं।
सीओसीओएमआई नेताओं ने कहा कि कुकी उग्रवादी, जो सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन समझौते के तहत हैं, ड्रग्स के व्यापार और अफीम की खेती का समर्थन कर रहे हैं।
सीओसीओएमआई ने समझौते को रद्द करने और भारत-म्यांमार सीमा प्रबंधन से असम राइफल्स को अधिक अनुशासित बल के साथ बदलने की भी मांग की।
उसके बयान में कहा गया है, ”असम राइफल्स मणिपुर को सीमा पार नार्को-आतंकवादी आक्रमण से बचाने में विफल रहा है। सुरक्षा बल मेइती किसानों को कुकी उग्रवादियों के हमलों से बचाने में विफल रहे हैं।”
सीओसीओएमआई ने दिल्ली में रहने वाले सभी निवासियों, छात्रों, पेशेवरों और अन्य लोगों से 6 अगस्त को जंतर-मंतर पर होने वाले धरना-प्रदर्शन में भाग लेने की अपील की है।
संगठन ने कहा कि “यह आयोजन केंद्र सरकार और सभी सांसदों को यह संदेश भी देगा कि वे सच्चाई के आधार पर संकट को हल करने में मदद करें, न कि निहित राजनीति के आधार पर।
”देश और दुनिया के सामने झूठ, गलत सूचना और मनगढ़ंत कहानियां परोसी जा रही हैं। संगठन भी दुनिया के सामने सब कुछ उजागर करेगा।”