जालना (महाराष्ट्र)। शिवबा संगठन के प्रमुख मनोज जारांगे-पाटिल का स्वास्थ्य उनकी भूख हड़ताल के छठे दिन गुरुवार को भी गिरता रहा, जिससे गुस्सा भड़क गया और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं।
गुरुवार देर शाम एक बड़े घटनाक्रम में बॉम्बे हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद डॉक्टरों की एक टीम अंतरावली-सारती गांव में विरोध स्थल पर पहुंची और उन्हें उचित चिकित्सा उपचार दिए जाने या अस्पताल में भर्ती कराए जाने की संभावना है।
बुधवार को उनकी नाक से खून बहता देखा गया था, जिसके बाद उन्हें सलाइन लगाई गई, मगर उन्होंने शाम को पेट में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद सलाइन उतार दिया गया। उनके चिंतित समर्थक उनके गांव अंतरावली-सरती में चौबीस घंटे उनकी निगरानी कर रहे हैं।
गुरुवार को जारांगे-पाटिल और भी कमजोर हो गए। मदद के बावजूद वह मुश्किल से बैठ पा रहे हैं और उन्हें कम से कम दो मौकों पर गिरते हुए देखा गया। वह आंदोलन स्थल पर ही गद्दे पर लेटे रहते हैं।
14 फरवरी को राज्य के विभिन्न जिलों में कुछ इलाकों में बाजार बंद रखा गया था और गुरुवार को कुछ कस्बों में राजमार्गों पर सड़क जाम करके और टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया।
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा कोटा हासिल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है और 26 फरवरी से शुरू होने वाले निर्धारित बजट सत्र से कुछ दिन पहले 20 फरवरी को विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया है।
अपने परिवार और समर्थकों की अपील के बाद आज शाम जारांगे-पाटिल ने थोड़ा पानी पिया। वह फिर से मार्की में गिर पड़े, जबकि उनके समर्थकों को रोते-बिलखते देखा गया।
जारांगे-पाटिल ने सिलसिलेवार ट्वीट में चेतावनी दी, “अब वापस नहीं जाना है… अब करो या मरो। मैं मराठों के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हूं। लेकिन, अगर मैं मर गया तो महाराष्ट्र एक और ‘लंका’ की तरह जल जाएगा।”
इस बीच, जिला अधिकारी जारांगे-पाटिल के स्वास्थ्य और किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति में संभावित जनाक्रोश पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।