नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने भारतीय किसान- संघ परिसंघ का सम्मेलन नई दिल्ली आंध्रा भवन में आयोजित किया गया। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलांगना,आंध्र प्रदेश, कर्नाटक,महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों से सैकडो किसान नेताओं ने भाग लिया। तीन दिवसीय कार्यक्रम की अध्यक्षता रघुनाथ दादा पाटिल शेतकरी संगठन, अध्यक्ष सिफा ने की। सम्मेलन में फार्मर्स एजेंडा 2024 पर चर्चा कर आगे का एजेंडा तय किया गया।
इसके बाद 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा से कृषि भवन नई दिल्ली में वार्ता कर किसानों की समस्याओं से अवगत कराया। किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने,फसल बीमा योजना में किसान को ईकाई बनाने, फसल के आधार पर विकास बोर्ड बनाने,खाद के बोरे पर बार कोड बनाने, खाद्य तेलों के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने, रसायनिक खाद के साथ टैगिंग न करने,गेहूं,चावल,चीनी,कपास के निर्यात से प्रतिबंध हटाने, किसान क्रेडिट कार्ड पर सालाना मूलधन नही केवल ब्याज जमा किए जाने,खेती के प्रयोग में आने वाले सभी उत्पाद,मशीनरी,ट्रेक्टर,पशु आहार से जीएसटी समाप्त किए जाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर वार्ता की।
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने इन विषयो पर गंभीरता के साथ विचार कर समाधान किए जाने के प्रति आश्वस्त किया। कृषि मंत्री ने सभी राज्यों के किसान प्रतिनिधियों के साथ एक वृहद चर्चा करने का भी आश्वाशन दिया।
किसान प्रतिनिधिमंडल में रघुनाथ दादा पाटिल महाराष्ट्र, धर्मेन्द्र मलिक, अशोक बालियान उत्तर प्रदेश, दलजीत कौर रंधावा,पंजाब, लीलाधर राजपूत मध्य प्रदेश, सोम शेखर राव तेलांगना,विपिन पटेल गुजरात, वीरेन्द्र रॉय बिहार, जसबीर सिंह भाटी,मनोज हरियाणा शामिल रहे। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को सौंपे गए ज्ञापन में भारत की कृषि निर्यात नीतियां और बाज़ार हस्तक्षेप तथा फसल उत्पादन के बाद की प्रक्रियाओं को प्राथमिकता देने व् अन्य समस्याओं को उठाया गया।
भारत की कृषि निर्यात नीतियां कृषि क्षेत्र, घरेलू उपभोक्ताओं और वैश्विक कृषि बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। किसानों को सशक्त बनाने और वैश्विक कृषि क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को बनाए रखने के लिए एक संतुलित कृषि नीति और दूरदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, इसलिए विभिन्न विषयों पर वार्ता करना चाहते है। किसानों को कृषि उत्पाद की गुणवत्ता सुधार के लिए सशक्त बनाना चाहिए-निर्यात मानकों और संबंधित अनुपालनों का पालन करने के लिए देश में किसान सशक्तिकरण आवश्यक है।
कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ जुड़ाव निर्यात-केंद्रित प्रौद्योगिकी का प्रसार कर सकता है और निर्यात के अवसरों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ा सकता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे मंडियों में खरीद नहीं होने का प्रावधान किया जाना चाहिए या न्यूनतम समर्थन मूल्य को बीमा से कवर किया जाना चाहिए-न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीद पर पेनल्टी का प्रावधान किया जा सकता है या न्यूनतम समर्थन मूल्य को बीमा से कवर किया जा सकता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने के लिए सी-2 लागत पर लाभ जोड़ा जाना चाहिए- न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने के लिए डॉ स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सी-2 लागत पर लाभ जोड़ा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान को इकाई माना जाये व लघु व सीमांत किसानों के लिए प्रीमियम जीरो की जाना चाहिए- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान को इकाई माना जाये व लघु व सीमांत किसानों के लिए प्रीमियम जीरो की जाना चाहिए, ताकि किसान के जोखिम को कम किया जा सके। विशिष्ट भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उन उत्पादों के काफी बोर्ड व तम्बाकू बोर्ड की तरह बोर्ड बनने चाहिए-स्वदेशी मोटा अनाज, फल, चावल और तिलहन जैसे विशिष्ट भारतीय खाद्य उत्पादों के पारंपरिक ज्ञान और पोषण मूल्य का लाभ उठाना चाहिए। ये सिफारिश खाद्यान्न निर्यात बाजारों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं और आयातकों के बीच अनुकूल संबंध स्थापित किया जाना चाहिए- यह संपर्क गुणवत्ता आवश्यकताओं की समझ को बढ़ाता है और आयातकों को मानकों के अनुपालन का आश्वासन देता है। किसान उत्पादक संगठनों को पूरे देश में मंडी शुल्क रहित कृषि उपज खरीदने-बेचने की सुविधा मिलनी चाहिए।
कृषि के उन्नत बुनियादी ढांचे को माडल के रूप में निर्यात के सम्भावित जनपदों में बनाया जाना चाहिए-जैसे भंडारण, पैक-हाउस और कोल्ड स्टोरेज सहित अन्य कृषि मूल्य वर्धित श्रृंखलाओं को बुनियादी ढांचे का दर्जा प्रदान करना अनिवार्य है। यह उन्नयन बेहतर भंडारण और परिवहन की सुविधा प्रदान करता है, जिससे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। बाज़ार हस्तक्षेप तथा फसल उत्पादन के बाद की प्रक्रियाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए- इन बाजार उपायों का उद्देश्य कृषि बाजारों को स्थिर करना भी होता है और किसान को गिरते मूल्य से भी सुरक्षा मिलती है।
नई बाज़ार पहलों को प्राथमिकता दी जाए- जैसे इलेक्ट्रॉनिक व्यापार, एकल व्यापारी लाइसेंस, बाज़ार शुल्क के लिए एक मात्र बिंदु, बाज़ार शुल्क पर चेक, अनुबंध खेती को बढ़ावा, कृषि मूल्य प्रणाली मंच/प्लेटफार्म का गठन, प्रत्येक किसान को वैल्यू श्रंखला में एकीकृत करना एवं आत्मा कर्मिओं को विपणन के काम में लगाना आदि शामिल है। उपज का सही मूल्य दिलाने के लिये राष्ट्रीय कृषि बाजार का निर्माण होना चाहिए। इससे देशभर में कीमतों में समानता आएगी और किसानों को पर्याप्त लाभ मिल सकेगा।
पीएम-किसान की राशि 6,000 रुपये से और बढ़ानी चाहिए- मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने व किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए यह आर्थिक सहायता योजना शुरू की थी,इसको बढ़ने से किसान की आर्थिक स्थिति और अधिक मजबूत होगी।