अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बीजेपी ने इस बार चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाकर सपा के अजीत प्रसाद को चुनौती देने का ऐलान कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार पासी समाज से आते हैं, जिससे यह मुकाबला पासी बनाम पासी की लड़ाई में तब्दील हो गया है।
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मिल्कीपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है। 2024 में अयोध्या लोकसभा सीट हारने के बाद बीजेपी किसी भी कीमत पर इस सीट को जीतना चाहती है। सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारकर बीजेपी को चुनौती दी है, जबकि बीजेपी ने चंद्रभान पासवान पर भरोसा जताया है।
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कौन हैं चंद्रभान पासवान?
चंद्रभान पासवान अयोध्या जिले के रुदौली कस्बे के परसौली गांव के निवासी हैं। उनके पिता बाबा राम लखन पासवान ग्राम प्रधान रह चुके हैं। चंद्रभान ने साकेत विश्वविद्यालय, फैजाबाद से एम.कॉम और एलएलबी की पढ़ाई की है। उन्होंने गुजरात के सूरत में काम किया, लेकिन बाद में रुदौली में कपड़े का कारोबार शुरू किया। उनका बाबा क्लाथ हाउस नामक एक प्रतिष्ठित शोरूम है।
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चंद्रभान का सियासी अनुभव सीमित है, लेकिन उनकी पत्नी कंचन पासवान रुदौली से दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गई हैं। चंद्रभान को बीजेपी विधायक रामचंद्र यादव और सांसद लल्लू सिंह का करीबी माना जाता है, जिसकी वजह से उन्हें यह टिकट मिला है।
पासी बनाम पासी की रोचक लड़ाई
मिल्कीपुर सीट पर पासी समाज का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। यहां करीब 60 हजार पासी वोटर्स हैं, जो कुल 3.23 लाख मतदाताओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ब्राह्मण और यादव समुदाय के बाद पासी वोटर्स का इस सीट पर खासा प्रभाव है।
सपा और बीजेपी, दोनों ही पार्टियों ने पासी समुदाय के उम्मीदवार उतारकर इस वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पासी वोटर किस तरफ झुकते हैं।
क्या कहते हैं राजनीतिक समीकरण?
मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी और सपा के बीच सीधी टक्कर है। पासी वोटर्स के अलावा, ब्राह्मण, यादव, और अन्य समुदायों के वोट भी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है, और दोनों पार्टियां जीत के लिए पूरा दमखम लगा रही हैं।
नतीजों पर टिकी सबकी निगाहें
मिल्कीपुर उपचुनाव का परिणाम न केवल इस सीट के लिए बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों की दिशा तय करने के लिहाज से भी अहम होगा। अब देखना यह है कि पासी बनाम पासी की इस लड़ाई में कौन बाजी मारता है।