मुज़फ्फरनगर। जनपद में बढ़ते भ्रष्टाचार, प्रशासनिक लापरवाही और अवैध खनन को लेकर आज भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की। संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने तहसील और थाना स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों को अधिकारियों के समक्ष रखते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की।
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धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि जिले के विभिन्न थानों और तहसीलों में आम जनता की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि रतनपुरी थाना प्रभारी न तो जनता की कॉल उठाते हैं और न ही उपजिलाधिकारी के निर्देश पर घटनास्थल पर पहुंचते हैं। यही हाल अधिकांश थानों का है।
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उन्होंने बताया कि किसानों द्वारा अगर अपने ही खेत से घरेलू उपयोग के लिए मिट्टी उठाई जाती है तो उन पर जुर्माना लगाया जाता है, जबकि दलालों के माध्यम से बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यह प्रशासन की दोहरी नीति और भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
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भारतीय किसान यूनियन ने डीएम को सौंपे गए ज्ञापन में तहसील खतौली के ग्राम समौली में पुलिस, प्रशासन और दलालों की मिलीभगत से हो रहे अवैध खनन का उल्लेख किया।
ज्ञापन में बताया कि 28 मार्च 2025 की रात 9:42 बजे तहसीलदार खतौली मौके पर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी संगठन के पास मौजूद है। उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल की रात को भी अवैध खनन जारी था। ग्रामीणों ने 10:24 से 10:54 बजे तक रतनपुरी थाना से संपर्क किया लेकिन थानाध्यक्ष ने कॉल रिसीव नहीं की। उपजिलाधिकारी खतौली और क्षेत्राधिकारी बुढ़ाना को फोन करके सूचित किया गया, लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। उपजिलाधिकारी से पुनः वार्ता की गई, जिससे यह प्रतीत हुआ कि वे भी पुलिस को भेजने में असमर्थ थे।
संगठन का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम के कॉल रिकॉर्ड्स और स्क्रीनशॉट्स मौजूद हैं, जो स्पष्ट प्रमाण हैं कि प्रशासनिक अमले की ओर से अवैध खनन रोकने में लापरवाही बरती गई है। किसान यूनियन की मांग है कि ग्राम समौली में हो रहे अवैध खनन को तुरंत रोका जाए। संबंधित अधिकारियों, पुलिस कर्मियों और दलालों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की जाए। कानून का राज स्थापित किया जाए और जनता की शिकायतों को गंभीरता से सुना जाए।
धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि यदि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया तो किसान यूनियन जन आंदोलन के लिए बाध्य होगी।