रांची । झारखंड में ब्यूरोक्रैसी की हालत पस्त है। एक तरफ सरकार में विभिन्न स्तरों पर अफसरों के सैकड़ों पद खाली पड़े हैं, दूसरी तरफ बड़ी संख्या में अफसरों को पोस्टिंग नहीं मिल पा रही है। सचिवालय जाकर दो वक्त अटेंडेंस लगाने के सिवा उनके पास न कोई काम है, न जिम्मेदारी।
‘निठल्ला’ बिठाए गए अफसरों के वेतन पर सरकार हर महीने करोड़ों की राशि खर्च कर रही है। राज्य में 16 आईएएस-आईपीएस भी महीने भर से वेटिंग फॉर पोस्टिंग की कतार में हैं। यह हाल तब है, जब राज्य पहले से आईएएस-आईपीएस की कमी से जूझ रहा है।
राज्य प्रशासनिक सेवा के भी दर्जनों अफसरों को पोस्टिंग के इंतजार में बिठाकर रखा गया है। राज्य में आईएएस-आईपीएस संवर्ग में जितने पद हैं, उनकी तुलना में तकरीबन 80 अफसर कम हैं। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी करीब दो महीने पहले राज्य में आईएएस-आईपीएस अफसरों की कमी से राज्य के प्रशासनिक ढांचे के प्रभावित होने की बात कह चुके हैं।
कुछ महीने पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में आईएएस अफसरों की कमी से अवगत कराया था। उन्होंने राज्य सरकार से एनओसी लिए बगैर केंद्र द्वारा आईएएस अफसरों की सेवा सीधे केंद्रीय तैनाती पर भेजे जाने के नियम लागू करने के प्रस्ताव पर विरोध जताया था।
इसके बावजूद उपलब्ध अफसरों को वेटिंग फॉर पोस्टिंग में रखे जाने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जिन आईएएस अफसरों को पोस्टिंग का इंतजार करना पड़ रहा है, उनमें भोर सिंह यादव और सुशांत गौरव जैसे नाम शामिल हैं।
भोर सिंह यादव कड़क आईएएस के तौर पर जाने जाते रहे हैं। रांची में एसडीओ और इसके बाद एक्साइज विभाग में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने जिस तरह गैरकानूनी नेक्सस के खिलाफ कार्रवाई की, उसकी चर्चा पूरे राज्य में होती है।
इसी तरह सुशांत गौरव गुमला के उपायुक्त के पद पर रहते हुए अपने बेहतरीन कार्यों के लिए प्रधानमंत्री से सम्मानित हो चुके हैं। गुमला जिले के डीसी रहते 16वें सिविल सर्विस डे के मौके पर उन्हें सम्मानित किया गया था।
कुल नौ ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जो अलग-अलग जिलों के डीसी के रूप में कार्यरत थे और इस वक्त वे पदस्थापन की प्रतीक्षा में हैं। पदस्थापन की प्रतीक्षा कर रहे आईएएस अधिकारियों में संदीप कुमार सिंह, विजया जाधव, माधवी मिश्रा, अरवा राजकमल, आर रौनिटा तथा आदित्य रंजन के नाम शामिल हैं।
इसी तरह पोस्टिंग का इंतजार कर रहे सात आईपीएस अधिकारियों में चंदन झा, अमित रेणु, आनंद प्रकाश, चंदन सिन्हा, अंबर लकड़ा, सुभाष चंद्र जाट और अनुरंजन किस्पोट्टा के नाम शामिल हैं।
हाल में राज्य में डीएसपी स्तर के 24 अफसरों को यूपीएससी से आईपीएस के तौर पर प्रोन्नति मिली है, लेकिन इनमें से आधे से ज्यादा अब भी डीएसपी स्तर के पदों पर ही काम कर रहे हैं।
झारखंड बनने के बाद पहली बार छह माह पहले राज्य में नगर विकास और आवास विभाग में 78 पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई थी। इनमें 65 कार्यपालक पदाधिकारी और 15 लेखा पदाधिकारी शामिल हैं। जब इन्हें नियुक्ति पत्र मिला तो इनकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इन्हें लगा कि अब नियमित वेतन मिलेगा और वे पूरी दक्षता से अपना काम करेंगे लेकिन इनका यह ख्वाब टूट गया।
हाल यह है कि बीते छह महीने से वे पदस्थापन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेकिन, यह प्रतीक्षा खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।