जयपुर। राजस्थान में सूर्य सप्तमी के अवसर पर स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने के आदेश पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा 3 फरवरी को सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में 20 मिनट का सूर्य नमस्कार कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि सूर्य नमस्कार के अभ्यास से विद्यार्थियों में एकाग्रता और बौद्धिक विकास होगा।
हालांकि, मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया है। जमाअते इस्लामी हिंद, राजस्थान के राज्य अध्यक्ष मुहम्मद निजामुद्दीन ने कहा कि इस्लाम में एकेश्वरवाद पर विश्वास किया जाता है और सूर्य की पूजा हमारे धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ है। सूर्य नमस्कार एक धार्मिक क्रिया है, जिसे किसी पर थोपना संविधान की धारा 25 और 26 का उल्लंघन है।
जमीअत उलमा-ए-हिंद, राजस्थान के महासचिव मौलाना हनीफ सादिक ने कहा कि यह आदेश धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। सरकारी स्कूलों में विशेष धर्म की मान्यताओं को बढ़ावा देना गलत है। हम व्यायाम और योग के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन धार्मिक गतिविधियों को बच्चों पर थोपना उचित नहीं है।
ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, राजस्थान के महासचिव इरफानुल हक ने कहा कि हमने पहले भी अदालत में इस तरह के प्रयासों का विरोध किया है। स्कूलों में इस प्रकार के निर्देश भारत के बहुलतावादी समाज के लिए नुकसानदायक हैं। सरकार को यह आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए।
विरोध करने वाले अन्य संगठनों में वहदते इस्लामी हिंद, जमीअत अहले हदीस, जयपुर शिया कम्युनिटी, एसडीपीआई, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, एपीसीआर राजस्थान, जमीअतुल कुरेश, मुस्लिम तैली महापंचायत, शैख जमीअतुल अब्बास और कायमखानी समाज शामिल हैं। इन संगठनों ने कहा कि केरल में बियोज इमानुअल व अन्य बनाम केरल राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया था कि किसी को भी राष्ट्रगान या अन्य धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने राजस्थान सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस आदेश के जरिए सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा रही है।