मुजफ्फरनगर। अग्रणी साहित्यिक संस्था वाणी की मासिक गोष्ठी लक्ष्मी नितिन डबराल के पटेलनगर स्थित आवास पर आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता बृजेश्वर सिंह त्यागी ने की । सुनील कुमार शर्मा ने संचालन किया।
सर्वप्रथम मां सरस्वती की वंदना डा. वीना गर्ग द्वारा प्रस्तुत की गई।
गोष्ठी में राहुल वशिष्ठ ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा….
“दो कुल को है करती रोशन, बेटी जग में बंधन है। इसे पांव की धूल ना समझो ये माथे का चंदन है।”
देवेंद्र तोमर ने अपनी रचना में कुछ यूं पढा…
“आज हम सुनाएं सबको वीरों की कहानी, आजादी है यह सब उनकी निशानी। कैसे बांके वीर थे वह कैसी थी कुर्बानी।”
निशु भारद्वाज ने पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा…
“यह कैसा नजारा अब नजर आ रहा है, वृक्ष पतन करके कंक्रीट छा रहा है । दीवारें सजी है आजकल ए.सी. से, प्रकृति से प्रेम अब कागजी सा नजारा है।”
विजया गुप्ता ने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा…
“गुरु ने खोले नयन ज्ञान के, मेघ छंटें अब तिमिर अज्ञान के।
गुरु की कृपा जब जिस पर होय, खुले कपाट बहु विध विज्ञान के।”
मीरा भटनागर ने अग्नि के गुणों को दर्शाया…
“अग्नि तेरे रूप अनेक, कभी क्रूर और कभी नेक।”
सुनील कुमार शर्मा ने मन के अंतर्द्वंद की पीड़ा को कुछ इस प्रकार व्यक्त किया…..
“अंतर्द्वंद चल रहा मेरे मन के अंदर।
“आशा निराशाओं का उमड रहा समंदर। अंतर्द्वंद चल रहा मेरे मन के अंदर।”
डा. मुकेश दर्पन ने अपनी रचना बखूबी ऐसे पढ़ी…
“गुरु का ध्यान समंदर खंगाल सकता है, मुसीबत से वह तुझको निकाल सकता है ।
जिसे यकीन हो अपने गुरु की वाणी पर, जमीं की तह से वो सूरज निकाल सकता है।”
सुमन सिंह चंदेल ने अपनी रचना में वसंत की बात करते हुए कहा,
” मेरे जीवन के जब से बीते हैं पचपन, पिताजी के मेरे लौट आया है बचपन।”
कमला शर्मा ने गुरु की महिमा को कुछ इस प्रकार आत्मसात किया..
“ज्यों गुरुदेव मिले, मन की गांठ खुलने लगी। ग्रंथि अज्ञान बंधी,
पल में ही सुलझने लगी।”
वाणी अध्यक्ष बृजेश्वर सिंह त्यागी जी ने अपना अंदाज कुछ यूं बयां किया…
“और पतंगा यूँ बोला
तुम प्रीत निभानी क्या जानो,
मुझ से पूछो ये इश्क है क्या दे देता जान भी ज्वाला पर।”
गोष्ठी में बृजेश्वर सिंह त्यागी, रामकुमार शर्मा रागी, सुनील कुमार शर्मा ,सुमन सिंह चंदेल, सुमन प्रभा, लक्ष्मी नितिन डबराल, निशु भारद्वाज, विजया गुप्ता, मीरा भटनागर , कमला शर्मा, विपुल शर्मा,अनुज शर्मा फतेह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।