गोरखपुर। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार देर शाम शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी तिथि के मान में गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार विधि-विधान से महानिशा पूजन व हवन किया। महानिशा पूजन अनुष्ठान से पूर्व उन्होंने वैदिक मंत्रों के बीच जगतजननी मां आदिशक्ति के अष्टम स्वरूप महागौरी माता की पूजा-अर्चना की।
शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने अष्टमी तिथि के मान में गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का विशिष्ट अनुष्ठान पूर्ण कर लोकमंगल की प्रार्थना की। गुरुवार पूर्वाह्न देवीपाटन शक्तिपीठ से गोरखपुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरखनाथ का दर्शन-पूजन करने के बाद अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधिस्थल पर जाकर शीश नवाया। देर शाम वह महानिशा पूजा में सम्मिलित हुए। शुक्रवार पूर्वाह्न नवमी तिथि के मान में कन्या पूजन तथा शनिवार को दशमी तिथि पर श्रीनाथ जी के विशिष्ट पूजन और गोरक्षपीठ से निकलने वाले परंपरागत विजयादशमी शोभायात्रा तक सीएम योगी गोरक्षभूमि पर शक्ति की भक्ति में लीन रहेंगे।
गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में महानिशा पूजा का अनुष्ठान गुरुवार देर शाम गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ। दो घंटे से अधिक चले अनुष्ठान में गोरक्षपीठाधीश्वर ने गौरी गणेश पूजन, वरुण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, मां दुर्गा का विधिवत पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का षोड्शोपचार पूजन, भगवान कृष्ण एवं गोमाता का पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व पूजन, अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादश ज्योर्तिलिंग-अर्धनारीश्वर एवं शिव-शक्ति पूजन, बटुक भैरव, काल भैरव, त्रिशूल पर्वत पूजन किया। साथ ही हवन की वेदी पर ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र और अग्नि देवता का आह्वान कर पूजन किया और शक्तिपीठ में स्थापित वेदी पर उगे जौ के पौधों को काटकर आदिशक्ति मां दुर्गा से लोकमंगल की प्रार्थना की।
महानिशा पूजा का अनुष्ठान गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा हवन करके पूर्ण किया गया। समस्त अनुष्ठान दुर्गा सप्तसती के पाठ एवं वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न हुआ। अंत में आरती एवं क्षमा याचना के बाद प्रसाद वितरित हुआ। गोरक्षपीठाधीश्वर गोरखनाथ मंदिर स्थित अपने आवास के शक्तिपीठ में शुक्रवार पूर्वाह्न शारदीय नवरात्रि की महानवमी तिथि को देवी दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करेंगे। उसके बाद कन्या पूजन का अनुष्ठान होगा।