Tuesday, December 24, 2024

गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव के नतीजे जमीन पर ठोस कार्रवाई में बदलेंगे : नौसेना प्रमुख

नई दिल्ली। गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव (जीएमसी) के आखिरी दिन नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार ने भरोसा जताया है कि इस कॉन्क्लेव के नतीजे जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई में बदल सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस कॉन्क्लेव ने महासागरों को मुक्त और खुला रखने की दिशा में साझा प्रतिक्रियाओं के विकल्प तलाशने का मौका दिया है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) को दुनिया भर में व्यापक समुद्री क्षेत्र से अलग करके नहीं देखा जा सकता है, इसलिए सामूहिक समुद्री क्षमता के निर्माण की अपार संभावनाएं हैं।

भारतीय नौसेना के नेवल वॉर कॉलेज में 29-31 अक्टूबर तक हुए ‘गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव’ में समसामयिक और भविष्य की समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए नौसेना प्रमुखों और समुद्री एजेंसियों के बीच ‘हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा’ विषय पर चर्चा की गई। इस कॉन्क्लेव में हिंद महासागर तटीय क्षेत्रों मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव के नौसेना प्रमुख, समुद्री बलों के प्रमुख, वरिष्ठ प्रतिनिधि हिस्सा लिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 अक्टूबर को गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव में जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून हमारे लिए आदर्श होने चाहिए।

नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार ने मंगलवार को आखिरी दिन कहा कि आईओआर में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के लिए सहयोगात्मक समाधान तैयार करने के लिए जीएमसी को वास्तव में एक कार्यात्मक मंच बनने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस मंच पर क्षेत्रीय चुनौतियों के लिए विशिष्ट क्षेत्रीय समाधान विकसित करने की दिशा में समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। इस दिशा में पिछले दो दिनों के भीतर सार्थक चर्चाएं हुई हैं। मैंने अपने समकक्षों के बीच इन बातचीतों को ठोस परिणामों तक पहुंचाने की इच्छा जताई है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नौसेना अपने दोस्तों के साथ लगातार और सक्रिय जुड़ाव के माध्यम से इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में गर्व महसूस करती है।

नौसेना अध्यक्ष ने कहा कि हमारी सामूहिक समुद्री क्षमता के निर्माण की अपार संभावनाएं हैं, चाहे वह समुद्री कानून से संबंधित पहलू हों, समुद्र से होने वाले नशीले पदार्थों के व्यापार का मुकाबला करना, समुद्री निगरानी या पर्यावरणीय प्रबंधन हो। हम समुद्री सुरक्षा के अन्य पहलुओं जैसे समुद्री कानून, समुद्री खोज और बचाव, एचडीआर आदि के लिए समान केंद्र बना सकते हैं। इन सभी प्रयासों में आईओआर को दुनिया भर में व्यापक समुद्री क्षेत्र से अलग करके नहीं देखा जा सकता है, इसे हमारे रक्षा मंत्री ने अपने मुख्य भाषण के दौरान प्रतिबिंबित किया था। इसलिए मेरा अंतिम सुझाव आईओआर में कई अन्य द्विपक्षीय और बहुपक्षीय निर्माणों के तहत हमारे प्रयासों को तर्कसंगत बनाने और प्राथमिकता देने के बारे में होगा, चाहे वह हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव या कोई अन्य हों।

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