बेंगलुरु। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शनिवार को स्पष्ट किया कि भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन को लेकर उसका पार्टी के साथ कोई मतभेद नहीं है। आरएसएस ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से भाजपा पर निर्भर है। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया कि भाजपा अध्यक्ष का चुनाव जल्द ही होगा, जिससे इस मामले को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग जाएगा।
शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार ने भाजपा अध्यक्ष के लंबित चुनाव के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा, “संघ के सदस्य 32 संबद्ध संगठनों में काम करते हैं। प्रत्येक संगठन स्वतंत्र है और उसकी अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया है। उनकी अपनी सदस्यता संरचना और स्थापित प्रक्रियाएं हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया, “भाजपा अध्यक्ष के चुनाव के लिए समन्वय समिति की बैठक नहीं होगी। भाजपा और आरएसएस में कोई अंतर नहीं है।
हम समाज और देश के लिए मिलकर काम करते हैं। आज भी हम उसी विश्वास और समझ के साथ काम कर रहे हैं। पार्टी की प्रक्रिया चल रही है, सदस्यता पूरी हो चुकी है और विभिन्न स्तरों पर समितियों का गठन हो चुका है। आने वाले दिनों में भाजपा अध्यक्ष का चुनाव होगा।” उन्होंने जोर देकर कहा, “यह प्रक्रिया पार्टी के ढांचे के भीतर ही पूरी होगी। बस कुछ दिन इंतजार कीजिए, सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।” वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, जो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री भी हैं, अपने कार्यकाल को विस्तार देते हुए इस पद पर बने हुए हैं।
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चर्चा है कि भाजपा और आरएसएस किसी उपयुक्त उम्मीदवार पर सहमत नहीं हो पाए हैं, जिससे दोनों संगठनों के बीच टकराव की अटकलें लगाई जा रही हैं। राष्ट्रीय अखंडता पर बोलते हुए आरएसएस नेता अरुण कुमार ने कहा, “हमारे राष्ट्रीय जीवन की एक अलग पहचान है और सभी को इसकी रक्षा करनी चाहिए। इस देश में कई भाषाएं हैं, लेकिन भावनाएं एक ही हैं। सभी भाषाओं का सार एक है। महान व्यक्तित्व कभी भी अपने राज्य तक सीमित नहीं रहे, वे पूरे राष्ट्र से जुड़ाव की भावना रखते हैं।” उन्होंने कहा, “हमारे देश में कई धर्म, अलग-अलग खान-पान और अलग-अलग संस्कृतियां हैं, फिर भी मूल्य एक जैसे हैं। हमारी संस्कृति एक है। हमारा विश्वास ‘एक लोग, एक राष्ट्र’ में है।
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ऐतिहासिक रूप से, जबकि देश के भीतर अलग-अलग राज्य थे, लोग हमेशा स्वतंत्र रूप से घूमते रहे हैं, जहां भी वे चाहते थे, बस गए। यह हमारी विशिष्टता है। भाषा या संस्कृति को लेकर कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा, “हमें ब्रिटिश शासन द्वारा छोड़ी गई कमियों को दूर करना होगा। आखिरकार, जैसा कि संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है, ‘हम, भारत के लोग’। ‘हम’ शब्द परिभाषित करने वाला तत्व है। धर्म, भाषा और अन्य पहलुओं में मतभेद यहीं खत्म हो जाते हैं।” उन्होंने कहा, “हमारी पहचान एक है। संघ का मानना है कि ‘हम भारत के लोगों’ को सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। हमने इसे स्वीकार किया है और जबकि कोई भी व्यवस्था परिपूर्ण नहीं है, हमने राज्यों और राष्ट्र के साथ एक संरचना बनाई है। मूल विचार हमेशा देश के बारे में सोचना होना चाहिए।”
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आरएसएस नेता अरुण कुमार ने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जो देशभक्ति, एकता, निस्वार्थता, अनुशासन और ‘राष्ट्र प्रथम’ की मानसिकता को बढ़ावा दे। अगर समाज मजबूत और संगठित है, तो चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सकेगा। लोगों की गुणवत्ता देश की नियति निर्धारित करती है। कुछ महान व्यक्तियों के कारण कोई राष्ट्र महान नहीं बनता, बल्कि महान नागरिक ही राष्ट्र को महान बनाते हैं। यही हमारा काम है। हम जिस समाज की कल्पना करते हैं, वह संघ को आकार देने के हमारे तरीके में झलकता है।” उन्होंने कहा, “हम समाज में जिन लोगों को देखना चाहते हैं, वही लोग संघ में भी हैं। हम खुद को अलग नहीं मानते। पूरे देश में देशभक्ति की भावना बढ़ रही है और साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी बढ़ रही है।
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हमारा मानना है कि देश में गुणात्मक बदलाव हो रहा है, हालांकि अभी और प्रगति की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, परिवर्तन भी होगा। शताब्दी समारोह के दौरान यह प्रक्रिया और तेज हो जाएगी।” उन्होंने कहा, “समाज की ताकत सर्वोपरि है। जब हम कहते हैं कि आरएसएस पूरे देश में फैल रहा है, तो इसका मतलब सिर्फ संख्यात्मक वृद्धि नहीं है। इसका मतलब है समाज की ताकत का जागरूक होना।” आरएसएस नेता अरुण कुमार ने कहा, “संघ की मजबूती का मतलब है समाज की मजबूती। अगर समाज की ताकत बढ़ेगी तो वह चुनौतियों, सवालों और आंतरिक मुद्दों से निपटने में बेहतर ढंग से सक्षम होगा।” उन्होंने कहा, “हमारे संगठन की विशिष्टता विस्तार पर हमारे निरंतर ध्यान में निहित है। आरएसएस का अंतिम लक्ष्य समाज को बदलना है। संघ केवल एक संगठन नहीं है, यह सामाजिक परिवर्तन के लिए एक विशाल जन आंदोलन है। हम लगातार प्रयास करते रहते हैं और उन पहलों का लगातार मूल्यांकन किया जाता है।”