Saturday, April 27, 2024

जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकायों में ओबीसी की भागीदारी बढ़ेगी: नित्यानंद राय

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नयी दिल्ली। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आज कहा कि जम्मू-कश्मीर स्थानीय निकाय विधियां (संशोधन) विधेयक 2024 पारित करके इसके माध्यम से अन्य पिछड़ा वर्ग को स्थानीय निकायों में आरक्षण देकर इस वर्ग के साथ न्याय किया जा सकेगा।

राय ने इस विधेयक पर लोकसभा में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह प्रगतिशील विधेयक है और इसके माध्यम से पंचायतों, नगर निगमों और नगरपालिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण प्रदान किया जा सकेगा।

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इस विधेयक पर हुई चर्चा में शामिल होते हुये कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल ने कहा कि आम जनता से जुड़े कार्य वाले विभागों को संचालित करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को दी जानी चाहिये। स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि आम जन से निरंतर जुड़े रहते हैं, वे उनकी समस्याओं को बेहतर तरीके से समझते हैं जिससे वे लोगों की समस्याओं को दूर करने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि लंबे समय से अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग इस विधेयक का इंतजार कर रहे थे। इस विधेयक के माध्यम से उनके साथ न्याय किया जा सकेगा। इससे इस वर्ग के लोगों का मनोबल बढ़ेगा। राज्य में सत्तारूढ़ रहीं नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस वर्ग के साथ नाइंसाफी का रुख बनाये रखा। अब मोदी सरकार यह विधेयक लाकर स्पष्ट किया है कि वह किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से पंचायतों, नगरपालिकाओं और नगर निगमों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा। वह इस विधेयक का समर्थन करते हैं।

नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि इस विधेयक पर चर्चा के साथ-साथ पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के फैसले के बाद बने हालात पर भी चर्चा होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराये जाने चाहिये जिससे वहां के स्थानीय प्रतिनिधि इस तरह के कानून पारित करा सकें। राज्य सरकार अपने राज्य के लोगों के हितों से जुड़े मामले और समस्याओं को बेहतर तरीके से संबोधित कर सकती है।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव का जिक्र करते हुये कहा कि उस चुनाव में जो कुछ किया वह शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को समाप्त करके केन्द्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया। वहां कई वर्षों से चुनाव नहीं कराये जा रहे हैं, यह अनुचित है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देकर वहां चुनाव कराने की मांग की।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग करते हुये कहा कि आरक्षण के बारे में केन्द्रीय कानून लाया जाना चाहिये जिससे महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में आरक्षण को लेकर कोई आंदोलन करने की जरूरत ही न पड़े।

शिवसेना के प्रताप राव जाधव ने कहा कि कांग्रेस गरीबों के लिये बड़ी बड़ी बातें करती रही है लेकिन उसके नेता पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राजीव गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्गों के लिये आरक्षण का विरोध किया था। पंडित नेहरू ने अन्य पिछड़े वर्ग के लिये बने काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया था। राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया था।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से सत्ता में अन्य पिछड़े वर्ग की भागीदारी बढ़ गयी है। इस सरकार अन्य कार्यों के साथ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने जैसा बड़ा काम किया गया है।

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