भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार स्थानीय युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए एमएसएमई और स्टार्टअप इकोसिस्टम पर फोकस कर रही है। यह बयान ओडिशा के एमएसएमई मंत्री, गोकुलानंद मल्लिक ने बुधवार को दिया। उत्कर्ष ओडिशा मेक इन ओडिशा कॉन्क्लेव-2025 में समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए मल्लिक ने कहा कि हमने इस समिट में एक स्टार्टअप सेशन रखा था, जिसमें प्रदेश के युवा उद्यमियों ने भाग लिया।
प्रदेश में बड़े इन्वेस्टमेंट्स आ रहे हैं और इसे सपोर्ट करने के लिए एमएसएमई इंडस्ट्री की आवश्यकता है। मल्लिक ने आगे कहा कि सरकार युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे ग्रामीण इलाकों के विकास को बढ़ावा मिलेगा। विकसित भारत और विकसित ओडिशा के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। राज्य के एमएसएमई मंत्री के मुताबिक, एमएसएमई की देश के प्रोडक्शन में 45 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। इसे आगे बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए ओडिशा सरकार नई एमएसएमई पॉलिसी लेकर आई है, जिसमें हम जमीन दे रहे हैं और वित्तीय रूप से मदद कर रहे हैं। एक सिंगल विंडो सिस्टम बनाया गया है, जिससे किसी भी युवा को दूसरी जगह जाने की आवश्यकता नहीं है।
ओडिशा असेंबली ऑफ स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज के सेक्रेटरी जनरल, शत्विक स्वैन ने कहा कि इस बार सरकार ने स्थानीय व्यापारियों को समान प्राथमिकता दी है। ओडिशा एसेंबली ऑफ स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज की ओर से हमने कौशल विकास के लिए सरकार के साथ तीन एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत एक फूड प्रॉसेसिंग क्लस्टर और एक वुडन क्लस्टर स्थापित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इस समिट का उद्घाटन किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मुझे बताया गया है कि यह ओडिशा के इतिहास में सबसे बड़ा निवेशक शिखर सम्मेलन है और इसमें 5 से 6 गुना अधिक निवेशक भाग ले रहे हैं। मैं इसके लिए ओडिशा सरकार को बधाई देता हूं। मेरा मानना है कि पूर्वी भारत देश का विकास इंजन है और ओडिशा इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब भारत का वैश्विक विकास में बहुत बड़ा योगदान था, तो भारत के पूर्वी हिस्से दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार का मुख्य केंद्र हुआ करते थे।”