मोरना। रात गई तो बात गई…की तर्ज पर लकीर के फकीर पीटने वाले प्रशासन ने इसी कहावत को चरितार्थ किया है। बाढ़ में अपना बहुत कुछ गंवा बैठे ग्रामीणों को अब झूठे आश्वासन देने का सिलसिला जारी हो गया है। सहायता के नाम पर ग्रामीणों के साथ भद्दा मजाक करने का मामला प्रकाश में आया है।
राशन वितरण के आश्वासन पर पहुंचे बाढ़ प्रभावित खादर क्षेत्र के ग्रामीण अधिकारियों की प्रतीक्षा में बैठे रहे। आधा दिन गुजर जाने के बाद भी जब कोई अधिकारी सुध लेने नहीं पहुंचा तो ग्रामीणों में रोष भडक गया। गुस्साए ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंगामा काटा तथा शासन प्रशासन पर उनके साथ छल करने व अभी तक कोई सहायता न मिलने पर नाराजगी जाहिर करते हुए धरना प्रदर्शन की चेतावनी दे डाली है।
मोरना ब्लॉक क्षेत्र के मजलिसपुर तौफीर, महाराजनगर, खैरनगर, सिताबपुरी आदि गांव बाढ की चपेट में आ गये थे। बाढ से ग्रामीणों की धान, गन्ना व सब्जियों की फसलें बर्बाद हो गई। साथ ही दर्जनों मकान गिर चुके हैं व अनेक मकानों में दरार आ चुकी है। घर में रखा कीमती सामान खराब हो गया है। भारी आर्थिक नुकसान का दंश झेल रहे ग्रामीणों को शासन प्रशासन की ओर सहायता का आश्वासन दिया गया। बाढ के दौरान अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने खादर क्षेत्र का दौरा व निरीक्षण किया लेकिन सहायता के नाम पर अभी तक ग्रामीणों की कोई मदद नहीं हो पाई है।
इंटर कॉलेज भोकरहेडी में बाढ पीडितों के लिए बाढ आश्रय स्थल बनाया गया है, जिसमें बाढ से प्रभावित ग्रामीण अपना डेरा डाले हुए हैं। रविवार को इंटर कॉलेज भोकरहेडी पहुंचे राजवीर, बबलू, बिजेन्द्र, अमित, बबली, ओमा, रामकली, राकेश, ओमपाल, रगबीरा, संजय, सुशीला, देवी, प्रमिता, शिमला, बिमला, राजो, तारा सहित सैकडों महिला पुरूषों ने बताया कि उन्हें गुरूवार को अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि इंटर कॉलेज भोकरहेडी में शुक्रवार को राशन का वितरण किया जाएगा लेकिन शुक्रवार को राशन वितरण के नाम पर खानापूर्ति की गई तथा चंद लोगों को राशन वितरण कर रविवार को सभी लोगों को राशन वितरण करने का आश्वासन दिया गया।
रविवार को ग्राम खैरनगर, महाराजनगर, मजलिसपुर तौफीर आदि गांवों के सैकडों ग्रामीण इंटर कॉलेज भोकरहेडी पहुंचे तथा अधिकारियों का इंतजार करने लगे लेकिन दोपहर तक कोई अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने कॉलेज परिसर में जमकर हंगामा काटा तथा अधिकारियों पर बाढ पीडितों की अनदेखी का आरोप लगाया। इसके उपरांत ग्रामीणों को खाली हाथ ही वापिस लौटना पडा