नयी दिल्ली- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने चारा घोटाला मामले में जमानत रद्द करने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका का उच्चतम न्यायालय के समक्ष विरोध किया है।
श्री लालू ने एक जवाबी हलफनामा दायर कर शीर्ष अदालत को बताया है कि उनकी जमानत रद्द करने की सीबीआई की याचिका ‘गलत धारणा वाली, योग्यताहीन’ और कानून की नजर में ‘अस्थिर’ है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख ने अपने हलफनामे कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका ने कानून की स्थापित स्थिति की अनदेखी की है, जिसके लिए जमानत देने वाले आदेश को पलटने हेतु भारी परिस्थितियों की आवश्यकता होती है।
न्यायिक हिरासत में करीब 30 महीने तक जेल रहे श्री प्रसाद ने गुहार लगाते हुए यह भी कहा कि वह वरिष्ठ नागरिक हैं। उनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक है। वह कई अन्य बीमारियों के साथ-साथ उम्र संबंधी विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। अपनी रिहाई के बाद से उन्हें गंभीर सर्जिकल/चिकित्सीय हस्तक्षेप से भी गुजरना पड़ा है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया है कि उन्हें पांच दिसंबर 2022 को एक बेहद गंभीर सर्जरी (किडनी ट्रांसप्लांट) से गुजरना पड़ा है। श्री यादव ने अपने लिखित जवाब में और भी कई दलीलें देते हुए राहत की गुहार लगाई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष 18 अगस्त को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद यादव को झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा दी गयी जमानत रद्द करने की गुहार लगाई थी।श्री यादव उच्च न्यायालय से जमानत के बाद जेल से बाहर हैं। शीर्ष अदालत सीबीआई की याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से श्री यादव को जमानत देने के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर वह 25 अगस्त को सुनवाई करेगी। पीठ के समक्ष विशेष उल्लेख के दौरान सीबीआई ने 18 अगस्त को अपनी याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी, जिसे स्वीकार करते हुए पीठ ने मामले को 25 अगस्त के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
झारखंड उच्च न्यायालय ने दुमका, चाईबासा, डोरंडा और देवगढ़ कोषागार से निकासी के चार मामलों में लालू को जमानत दे दी थी। न्यायालय ने लालू प्रसाद को डोरंडा कोषागार मामले में जमानत दे दी थी, जिसमें सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें पांच साल जेल की सजा सुनाई थी।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को डोरंडा कोषागार में 139 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले से जुड़े पांचवें चारा घोटाले के मामले में रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने पांच साल जेल की सजा सुनाई थी और 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।