नई दिल्ली। संसद भवन परिसर में महापुरुषों की मूर्तियां कहां लगाई जाएं इसको लेकर राज्यसभा में सोमवार को विपक्ष ने अपनी बात रखी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर, शिवाजी महाराज आदि की मूर्तियां जिस स्थान पर पहले थीं उसी स्थान पर फिर से लगाई जाएं। खड़गे ने कहा, “हमारी हाथ जोड़कर विनती है कि महापुरुषों का अपमान न किया जाए। यदि अपमान किया गया तो 50 करोड़ एससी-एसटी, दलित, आदिवासियों का अपमान होगा। देश एवं संविधान का अपमान होगा। यह हमारी गुजारिश है की मूर्तियों को वापस उनके पुराने स्थानों पर रखा जाए। उन्होंने कहा कि संसद में मूर्ति और चित्र लगाने के लिए एक कमेटी होती है जिसमें पक्ष तथा विपक्ष के सदस्य और स्पीकर शामिल होते हैं। किस स्थान पर चित्र और मूर्ति लगाई जाए इसका सामूहिक तौर पर निर्णय लिया जाता है। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद में सभी महापुरुषों की मूर्तियों को एक स्थान पर लगाकर प्रेरणास्थल बनाया गया है। संसद में उपराष्ट्रपति उस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आए और उसका उद्घाटन किया। लोकसभा के अध्यक्ष के पास इसका प्रशासनिक नियंत्रण है। उनकी अध्यक्षता में यह काम हुआ। किरेन रिजिजू ने इस आरोप का खंडन किया कि मूर्तियों को एक कोने में रख दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुरानी सांसद गोलाकार है वहां कोई कोना नहीं है। एक बहुत ही खूबसूरत और सम्मानजनक स्थान पर अच्छे तरीके से सभी मूर्तियों को लगाया गया है, जहां देशवासी इन महापुरुषों के दर्शन कर सकते हैं। प्रेरणा स्थल पर इन मूर्तियों को लगाकर महापुरुषों का सम्मान बढ़ाया गया है।
इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह सही नहीं है। सदन के सदस्यों की राय लेकर महापुरुषों की मूर्ति को वापस उनके पुराने स्थान पर स्थापित किया जाए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मणिपुर एक साल से जल रहा है। प्रधानमंत्री देश-विदेश गए, लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के 17 मंत्री चुनाव हार गए। किसानों को कार से रौंदने वाले मंत्री को हम हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन जनता ने ही उसे रौंद दिया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस अवसर पर एक कविता पढ़ते हुए कहा, “कभी घमंड मत करना, तकदीर बदलती रहती है। शीशा वही रहता है, बस तस्वीर बदलती रहती है।
” खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा है आज के संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरार डालने की साजिश से रच रही हैं। इनके द्वारा अफवाहें फैलाने और जनता को भ्रम में डालने के लिए ‘मिस इनफॉरमेशन’ का सहारा लिया जा रहा है। खड़गे ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा गलत बातें कही गईं।