बच्चे चाहे वह छोटे हों या बड़े, उनको पढ़ाई में प्रवीण बनाने में मां का महत्त्वपूर्ण योगदान है। प्राय: देखा जाता है कि किसी भी महापुरूष को अच्छा बनाने में उसकी मां की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। इसलिए मां को बच्चों को दिशा निर्देशन में निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिये:-
बच्चे को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की दृष्टि से अनुचित सलाह न दें। आप थोड़े से स्वार्थ के पीछे बच्चे में गलत विचारधारा उत्पन्न कर सकती हैं। बच्चे की रूचि समझकर ही उसे विषय का चुनाव करायें। समय-समय पर उसे अच्छे कार्यों के लिये प्रोत्साहित किया जाये।
हमेशा उसे पढ़ाई के महत्त्व आदि को समझाती रहें। उसे कभी भूलकर भी शिक्षा के विरूद्ध बातें जैसे कि पढऩे से क्या होता है, आदि न सिखायें। ये बातें बच्चे में पढ़ाई के प्रति अरूचि उत्पन्न कर सकती है।
हमेशा अपने बच्चों की पढ़ाई आदि के समय का विशेष ध्यान रखें। पढ़ाई के समय व्यर्थ का वार्तालाप या शोर-गुल न करें। यदि आप स्वयं ही उनका ध्यान नहीं रखेंगी तो वे तो आखिर बच्चे ही हैं।
समय समय पर उनकी पढ़ाई का विशेष ध्यान देें।
अपने सामाजिक परिवेश, आर्थिक स्थिति के अनुसार ही बच्चों को शिक्षा दें। महंगी शिक्षा से परिवार का आर्थिक संतुलन बिगड़ सकता है जिसके कारण बच्चों को उचित पौष्टिक भोजन नहीं मिल सकेगा और इसका असर उनकी शिक्षा पर पड़ेगा।
बच्चे की मानसिक स्थिति को समझें, उसकी रूचि के अनुसार ही उसे शिक्षा दें।
अच्छे अंकों में पास होने पर बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप उपहार दें।
मां का एक महत्त्वपूर्ण योगदान हो जाता है कि वह समय समय पर बच्चों पर ध्यान दे और उनके शिक्षण कार्यों का अवलोकन करें। घर में अधिक मेहमान न आयें। मेहमानों के आने पर भी बच्चों की पढ़ाई का उचित ध्यान रखें।
अगर थोड़ी सी सूझ बूझ से काम किया जाये, बच्चों को समझें और उनकी रूचि का ध्यान दें तो बच्चों को पढ़ाई में प्रवीण बनाया जा सकता है।
– अनुभा खरे