नई दिल्ली। राजस्थान में वर्तमान में सरकार चला रही कांग्रेस और भविष्य में सरकार बनाने का दावा कर रही भाजपा, दोनों ही राजनीतिक दलों में नेताओं के बीच जोर-शोर से घमासान जारी है। कांग्रेस में तो पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट 11 मई से जन संघर्ष पद यात्रा निकालने का ऐलान कर गहलोत के खिलाफ खुल कर मैदान में उतर गए हैं, तो वहीं भाजपा नेताओं के बीच शह और मात का खेल अभी जारी है।
सचिन पायलट राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा में सीएम पद की सबसे बड़ी दावेदार वसुंधरा राजे सिंधिया के कार्यकाल में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए गहलोत पर इसकी जांच नहीं करवाने का आरोप लगा रहे हैं। अब तो पायलट यह भी बोल रहे हैं कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं। जाहिर है कि सचिन पायलट एक साथ गहलोत और वसुंधरा दोनों को निशाना बना रहे हैं।
लेकिन कांग्रेस में मचे इस घमासान के बीच भाजपा में मुख्यमंत्री पद के एक और बड़े दावेदार एवं वर्तमान में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत बार-बार अपनी ही पार्टी को यह सलाह देते नजर आ रहे हैं कि सचिन पायलट जनाधार वाले नेता है और अगर वे भाजपा की रीति-नीति में विश्वास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं तो भाजपा को बांहे फैलाकर सचिन पायलट का पार्टी में स्वागत करना चाहिए। इस बयान के कई दिन बाद पत्रकारों द्वारा सचिन पायलट को दिए गए, उनके आमंत्रण के बारे में फिर से पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए शेखावत ने फिर से यही दोहराया कि कोई सामथ्र्यवान आदमी जिसके साथ में हजारों लोग जुड़े हैं वो अगर भाजपा की नीति-रीति में विश्वास करते हुए, भाजपा के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करके पार्टी के साथ जुड़े तो पार्टी को बांहे पसारकर उनका स्वागत करना चाहिए।
दरअसल, राजस्थान में गुटों में बंटी भाजपा में नेताओं के बीच आपसी घमासान जारी है। पार्टी अध्यक्ष नड्डा की तमाम कोशिशों और कई बार सबकी बैठक करवाने के बावजूद यह घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस के बीच जारी घमासान ने भाजपा में नेताओं के बीच जारी शीतयुद्ध को भी एक तरह से सामने ला ही दिया है।