होली रंग-बिरंगे रंगों का मैत्रीपूर्ण पर्व है। लाल, हरे, पीले रंगों से लिपे-पुते लोग इस दिन एक दूसरे को रंग लगाते व गले मिलते प्रतीत होते हैं। होली के दिन लोग दुश्मनी छोड़कर गले मिलने की परम्परा भी निभाते हैं। होली का त्योहार एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को सारी मर्यादाएं तोड़ देने को प्रोत्साहित सा करता है और कहना न होगा कि लोग भी मर्यादा की सभी सीमायें ताक पर रखकर होली खेलते हैं।
इस होली के पर्व का सबसे अधिक फायदा उठाता है छिछोरी हरकतें करने वाला पुरूष वर्ग। कुछ युवक जो मनचले व दिलफेंक प्रकृति के होते हैं, इस अवसर पर कुछ खास तबीयत से लड़कियों को रंग लगाते फिरते हैं।
लड़कियां भी कुछ कम नहीं होती। वे भी खूब बढिय़ा तरीके से युवकों को रंग भरी पिचकारी दे देकर मारती हैं। फिर प्रत्युत्तर में यह युवक लड़की से पिचकारी छीनकर राजेश खन्ना के स्टाइल में गाना गाते हुए उस भागती लड़की को पिचकारी से भिगोता है तथा एक्शन से भरपूर यह गाना गाता है-
आज न छोड़ेंगे हम हमजोली खेलेंगे हम होली
और यह गाना सुनकर तो लड़की के दोनों गाल शर्म व रंग की लाली से और भी अधिक गहरा जाते हैं, यानी होली के दिन प्रेमी-युगल खूब तबीयत से होली अर्थात् होली मिलन मनाते हैं।
आजकल के आधुनिक जीजा भी अपनी माडर्न सालियों से होली खेलने से बाज नहीं आते। श्यामा के जीजा ने आज जिद्द पकड़ रखी है कि वह आज श्यामा के रसगुल्ले जैसे गालों पर लाल अबीर लगा कर ही छोड़ेंगे। बेचारी श्यामा इधर से उधर भागती फिर रही है कि कोई उसे रोमांटिक जीजा से बचा सके लेकिन क्या मजाल है कि लोग श्यामा को उसके रोमांटिक जीजा से से बचावें और आखिर बेचारी श्यामा जीजा जी के हाथ पड़ ही गई।
जीजा जी खूब तबीयत से अपने सास ससुर के सन्मुख श्यामा के गाल से अपना लिपापुता गाल रगड़ते रहे, रगड़ते रहे और बेचारी श्यामा कसमसा कर ही रह गई। श्यामा के माता पिता सामने खड़े यह रंगारंग नजारा देखते रहे और अपने पोपले मुंह को मावा भरी गुजियों से भरते रहे।
रमेश अपने दोस्त कमल की सुन्दर बीवी पर दिलो जान से फिदा है। रमेश किसी न किसी बहाने रीमा को अपनी भुजाओं में भरना चाहता है तो अब जनाब को होली से अच्छा अवसर कहां मिलेगा? रमेश ने सुन्दर रीमा को रंग लगाने के चक्कर में खूब अपनी बाहों में भरा और होली मिलन के अवसर पर रीमा के माथे पर बजाय अबीर के अपना चुंबन अंकित कर दिया।
कमल बेचारा भी सामने खड़ा सारा नज़ारा देखता रहा लेकिन कहे क्या? भई होली है और होली पर तो सभी खेलते-मिलते हैं। होली के इस पावन अवसर पर भांग भी खूब पी जाती है। महिला और पुरूष दोनों भांग का पान करते हैं और फिल्म आपकी कसम’ के इस गाने पर साथ-साथ थिरकते हैं –
जय- जय शिव शंकर
कांटा लगे न कंकर
यह प्याला तेरे नाम का पिया। और मस्ती भरे इस गाने पर थिरकते-थिरकते ऐसे मदहोश हो जाते हैं कि बस….।
होली के अवसर पर बहुतायत से काफी सीमा तक मर्यादा का उल्लंघन होता है। कभी-कभी बड़ी शर्मनाक घटनाएं महिला वर्ग के साथ जाने-अनजाने में इस दिन घट जाती हैं और लड़की अथवा महिला को रंग भरी होली का त्योहार काफी महंगा पड़ जाता है। खास तौर से महिला वर्ग को इस मदहोशी भरे पर्व में स्वयं को सचेत रखना चाहिए।
महिलाओं को रंगों का एक-दूसरे के गालों पर आदान-प्रदान काफी सोच-समझकर ही करना चाहिये। होली पर महिलाओं को पतले व हल्के रंगों के कपड़े न पहन कर मोटे व गहरे रंगों के कपड़े पहनने चाहिये ताकि यदि कोई रंग भरी बाल्टी उन पर डालें तो उनके शरीर का प्रदर्शन न हो। खासतौर पर लड़कियों को होली के अवसर पर मनचले लड़कों से सचेत रहना चाहिये।
लड़कियों को चाहिये कि वे होली खेलते समय मर्यादा का ध्यान रखें और कोई भी ऐसी हरकत न करें जो भविष्य में उनके जी का जंजाल बन जाए। यदि कोई महिला या लड़की अपनी किसी प्रिय सखी से होली मिलने जाती है तो उसको चाहिये कि वह कोई भी ऐसी चीज न खाये, न पान करे जो मदहोश करने वाले हों क्योंकि आजकल ऐसी घटनायें भी प्रकाश में आती हैं कि लड़की को भांग का पकौड़ा या टिकिया जैसी कोई चीज खिलाकर मदहोश सा कर दिया और बाद में उसके साथ यौनाचार किया।
आप होली अवश्य खेलें और हर्षोल्लास का भी पूरा लुत्फ उठायें लेकिन सीमा में रहकर ही होली खेलें तो स्वयं आपके लिए बेहतर होगा। यदि आप, मर्यादा में रहकर होली खेलेंगी तो रंगों में रंगकर आह्लादित हो सकेंगी अन्यथा पुरूषों की छिछोरी हरकतों की शिकार बनकर तनाव और उपेक्षा से भर जायेंगी। अत: महिला वर्ग होली तो अवश्य खेलें लेकिन साथ ही मर्यादा व सीमा का भी ध्यान रखे।
– रेणुका श्रीवास्तव