नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की जोरदार आर्थिक वृद्धि दर का उल्लेख करते हुए शनिवार को कहा कि देश की यह तेज वृद्धि उनकी सरकार की देश और देशवासियों के हित पर आधारित आर्थिक नीतियों का नतीजा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड19 महामारी के दौरान भारत के सूझबूझ भरे राजकोषीय और मौद्रिक कदमों तथा विकासमूलक बुनियादी सुधारों का फायदा देश की अर्थव्यवस्था को आज मिल रहा है।
श्री मोदी फिनटेक पर एक वैश्विक विचार नेतृत्व मंच, इन्फिनिटी फोरम के दूसरे संस्करण को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में 7.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि का उल्लेख किया और कहा, “आज भारत की आर्थिक वृद्धि की गाथा ने दुनिया को दिखाया है कि जब नीति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, जब सुशासन के लिए पूरी ताकत लगायी जाएग, जब देश और देशवासियों का हित ही आर्थिक नीतियों का आधार हो , तो क्या नतीजे मिलते हैं।”
सरकार के तत्वावधान में इन्फिनिटी फोरम का यह कार्यक्रम आगामी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के पहले के कार्यक्रम के रूप में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) और गिफ्ट सिटी, अहमदाबाद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। ‘गिफ्ट-आईएफएससी: नर्व सेंटर फॉर न्यू एज ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन को आडियो विजुअल माध्यम से संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि दिसंबर 2021 में इन्फिनिटी फोरम के पहले संस्करण के आयोजन के दौरान वैश्विक आर्थिक स्थिति कोविड19 महामारी और अनिश्चितता से प्रभावित थी। उन्होंने कहा कि वे चिंताएं अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है।
श्री मोदी ने भू-राजनीतिक तनाव, उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ते ऋण स्तर की चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,“ गत सितंबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा था कि वर्ष 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में अकेले 16 प्रतिशत का योगदान भारत का होगा। विश्वबैंक का भी कहना है कि “वैश्विक चुनौतियों के बीच, भारत से काफी उम्मीदें हैं।” श्री मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के इस बयान को भी स्वीकार किया कि भारत वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
उन्होंने देश में लालफीताशाही कम होने से निवेश के बेहतर अवसर पैदा होने के बारे में विश्व आर्थिक मंच की टिप्पणी पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत दुनिया के लिए आशा की किरण है, यह इसकी मजबूत अर्थव्यवस्था और पिछले 10 वर्षों के परिवर्तनकारी सुधारों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि दुनिया जब (महामारी के दौर में) राजकोषीय और मौद्रिक राहत में लगी थी , भारत के दीर्घकालिक विकास और आर्थिक क्षमता विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया। देश को आज उसका फायदा हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण बढ़ाने के महत्व को जानता है, देश में कई क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति में ढील दी गयी है, नियम प्रकियाओं के अनुपालन के बोझ में कमी लायी गयी है और भारत ने 3 नए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) किए हैं।
उन्होंने कहा कि गिफ्ट सिटी और आईएफएससीए भारतीय और वैश्विक वित्तीय बाजारों को एकीकृत करने के लिए एक बड़े सुधार का हिस्सा है। श्री मोदी ने कहा, “गिफ्ट सिटी नवाचार, दक्षता और वैश्विक सहयोग के नए मानक स्थापित करेगा।”
उन्होंने बताया कि आईएफएससीए ने आर्थिक उथल-पुथल के इस दौर में निवेश के नए रास्ते खोलने वाले 27 नियम और 10 से अधिक ढांचे बनाए हैं।
श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि इन्फिनिटी फोरम के पहले संस्करण के दौरान प्राप्त सुझावों को लागू करने की पहल आईएफएससीए ने कर दी है। प्राधिकरण ने अप्रैल 2022 में इन्हीं सिफारिशों के आधार पर सरकारी कोष प्रबंधन कार्या के लिए व्यापक नियामकीय ढांचा अधिसूचति किया था।
प्रधानमंत्री ने बताया कि आज आईएफएससीए में 80 फंड प्रबंधन फर्में पंजीकृत हैं और वे 24 अरब डॉलर से अधिक के कोष स्थापित कर चुकी हैं। साथ ही दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को 2024 में गिफ्ट-आईएफएससीए में अपने पाठ्यक्रम शुरू करने की मंजूरी दी जा चुकी है। उन्होंने मई 2022 में आईएफएससीए द्वारा जारी एयरक्राफ्ट लीजिंग नियमावली का भी उल्लेख किया जिसके बाद इस क्षेत्र में 26 इकाइयों ने परिचालन शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने गिफ्ट आईएफएससीए को पारंपरिक वित्त और उद्यमों से परे ले जाने के सरकार के प्रयासों को दोहराया। श्री मोदी ने कहा, “हम गिफ्ट सिटी को नए युग की वैश्विक वित्तीय और प्रौद्योगिकी सेवाओं का वैश्विक तंत्रिका केंद्र बनाना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि गिफ्ट सिटी द्वारा प्रदान किए गए उत्पाद और सेवाएं दुनिया और हितधारकों के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने में मदद करेंगी।”
श्री मोदी ने इस अवसर पर जलवायु परिवर्तन की बड़ी चुनौती की ओर ध्यान आकर्षित किया और दुबाई में चल रहे जलवायु सम्मेलन कॉप28 के दौरान भारत की प्रतिबद्धता के बारे में जानकारी दी और कहा कि भारत और दुनिया के जलवायु संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उचित लागत पर वित्त पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।