Friday, February 21, 2025

कवि की भूमिका ब्रह्मा से भी बड़ी- प्रो. उमा कांत शुक्ल

नई दिल्ली। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के आधुनिक विषय पीठ द्वारा ‘अभिनव भारत आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी स्मारक व्याख्यानमाला’ के अंतर्गत ‘सरस्वत्यास्तुति कविसंहृत्याख्यं विजयते’ विषय पर पहला व्याख्यान आयोजित किया गया।

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इस व्याख्यानमाला का आयोजन अब हर वर्ष पं. सीताराम चतुर्वेदी की स्मृति में किया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने की, जबकि मुख्य वक्ता प्रो. उमा कांत शुक्ल (सेवानिवृत्त आचार्य, एस. डी. डिग्री कॉलेज) रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. कल्पना जैन (साहित्य एवं संस्कृत पीठ प्रमुख) उपस्थित रहीं। सारस्वत अतिथि के रूप में आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी के पुत्र प्रियशील चतुर्वेदी भी मौजूद रहे।

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कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार, दीप प्रज्ज्वलन एवं माता सरस्वती तथा आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी की प्रतिमा पर पुष्पार्चन के साथ हुआ। कार्यक्रम के संयोजक आधुनिक विषय पीठ प्रमुख प्रो. मीनू कश्यप ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि डॉ. अभिषेक तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन डॉ. बी. कानाक्षम्मा ने किया।

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अपने उद्बोधन में प्रो. उमा कांत शुक्ल ने कहा कि मनुष्य का जीवन जीना कठिन होता है, और यदि किसी का जन्म मनुष्य रूप में हो भी जाए, तो कवि बनना उससे भी कठिन होता है। कवि की भूमिका ब्रह्मा से भी बड़ी होती है। इसलिए कवि को सदैव कविता करते हुए उसके विविध पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए, तभी वह कालजयी बन सकती है।”

 

प्रो. कल्पना जैन ने कहा, “आचार्य सीताराम चतुर्वेदी की रचनाधर्मिता अद्भुत थी। उनका साहित्यिक योगदान कालजयी है।”

 

कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि “आचार्य चतुर्वेदी जैसे व्यक्तित्व पर व्याख्यानमाला का आयोजन विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।”

इस अवसर पर श्रीमती शशि पाठक, प्रो. जयदेव शर्मा, प्रो. भार्गवी नंद, प्रो. कल्पलता पांडेय, प्रो. भास्कर मिश्रा, प्रो. आदेश कुमार, डॉ. अभिषेक तिवारी, आदित्य पंचोली, डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. सुनीता त्रिपाठी, डॉ. आलोक कुमार, डॉ. श्वेता, डॉ. वैभवानी, डॉ. प्रियंका, डॉ. नीरज भारद्वाज, डॉ. श्रद्धा मिश्रा एवं पीयूष शर्मा सहित अनेक शिक्षाविद, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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