मेरठ। कालोनाइजरों द्वारा कृषि भूमि का भू उपयोग बदले बिना ही अवैध कालोनियां बसाई जा रही हैं। हस्तिनापुर के वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामले में एनजीटी ने टीम गठित कर सभी साक्ष्यों सहित 31 मार्च 2025 तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं।
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दरअसल, कस्बा निवासी रजनीश कुमार ने एनजीटी में याचिका दायर कर अभ्यारण्य क्षेत्र में लगातार हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण की शिकायत की थी। क्षेत्र के एसडीएम अंकित कुमार का कहना है कि वन विभाग की झील की जगह पर अवैध रूप से कच्चे पक्के मकान बना लिए गए हैं। 107 मकान बन चुके हैं। तीन बार तहसीलदार मवाना ने नोटिस जारी किया, फिर भी मकान नहीं हटाए गए।
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एनजीटी के आदेश पर पुलिस प्रशासन की टीम ने बुलडोजर लेकर कार्रवाई की और पशुओं के लिए बनाई गई तीन झोपड़ियों को हटा दिया। बाकी लोगों को दो दिन का समय दिया गया है। शहर की हरियाली से लेकर खेती की जमीन तक सब बर्बाद हो रही है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवैध निर्माण और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इसके बावजूद अवैध निर्माण जारी हैं। ऐसे में जिले के संबंधित जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों पर उंगलियां उठ रही हैं।
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शहर के पुराने इलाकों लाला का बाजार, खैरनगर, वैदवाड़ा, ठठेरवाड़ा, शीशमहल आदि इलाकों में बेहद पुराने मकानों को तोड़कर उनमें शोरूम, गोदाम, बहुमंजिला इमारतें और कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे हैं। इसको लेकर कई बार शिकायतें भी हुईं, लेकिन मामला अटका रहा। मामले में मिशन कंपाउंड (देवनगर) निवासी मनोज चौधरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें अब मेड़ा अफसरों से जवाब मांगा गया है। मेड़ा के प्रवर्तन अनुभाग के प्रभारी अर्पित यादव ने बताया कि अवैध निर्माण के खिलाफ जल्द ही फिर से अभियान चलाया जाएगा।