Friday, November 22, 2024

फतेहाबाद के सिरसा में अमित शाह की रैली का विरोध करने वाले सरपंचों को पुलिस ने हिरासत में लिया, कई सरपंच नजरबंद

फतेहाबाद। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिरसा रैली का विरोध करने वाले सरपंचों पर जिला प्रशासन शनिवार रात से नजर रखे हुए हैं । कई सरपंचों को पुलिस प्रशासन ने उनके घरों में नजरबंद कर रखा है। रविवार सुबह भी सिरसा के लिए निकले कई सरपंचों को पुलिस ने हिरासत में लेने की भी खबर है। पुलिस ने सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रणबीर सिंह गिल समैण को भी रविवार सुबह गांव के बाहर हिरासत में ले लिया। इसके अलावा सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता और भट्टू में आंदोलन की बागड़ोर संभाल रहे चन्द्रमोहन पोटलिया के अलावा जिला प्रधान गुरप्रीत सिंह, हेमंत बैजलपुरिया सहित सरपंचों को उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया गया। इन सभी सरपंचों के घर पुलिस कर्मचारियों का पहरा लगाया गया है।

दरअसल, जिले के सरपंच राज्य में ई-टेंडरिंग को समाप्त करने की मांग को मामले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रविवार को सिरसा में होने वाली रैली का विरोध कर रहे हैं। सरपंचों की इस घोषणा के बाद से ही जिला प्रशासन विरोध करने वाले सरपंचों की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। इन सरपंचों के गांवों में पिछले दो दिनों से पुलिस टीमें लगातार गश्त पर थी और खुफिया विभाग के कर्मचारी भी पल-पल की रिपोर्ट सरकार तक पहुंचा रहे थे।

सरपंच एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष रणबीर सिंह गिल के गांव समैण में बीती शाम बस स्टैंड पर पुलिस तैनात रही और गांव में पुलिस गश्त करती रही। रणबीर गिल पहले ही हर हाल में रैली का विरोध करने के लिए सिरसा जाने पर अड़े थे। रविवार सुबह से पुलिस की गाडिय़ां गांव समैण जाने वाले रास्तों पर तैनात रहीं। पुलिस आने जाने वाले वाहन की चैकिंग करती रही। इस बीच जब रणबीर गिल अपने समर्थकों के साथ गाडिय़ों में सिरसा के लिए रवाना हुए तो गांव के बाहर ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया और अपनी गाड़ी में बैठाकर उन्हें अपने साथ टोहाना ले गई।

रणबीर गिल ने कहा कि जब तक पंचायतों के अधिकार बहाल नहीं किए जाते, सरपंचों का विरोध जारी रहेगा। वे रैली के लिए जा रहे थे, लेकिन उन्हें गांव के बाहर रोककर हिरासत में लिया गया है। सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है। 2 दिन से पुलिस उनके गांव व घर के बाहर घूम रही है। रणबीर गिल ने कहा कि उनके साथियों को भी रोका जा रहा है और उन्हें भी नहीं जाने दिया जा रहा लेकिन इससे उनकी आवाज दबने वाली नहीं है। सरपंचों की मांगें न माने जाने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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