गाजियाबाद। बिना अनुमति महापौर कार्यालय से एक कंप्यूटर ऑपरेटर को हटाए जाने पर नगर निगम की राजनीति गरमा गई है। महापौर सुनीता दयाल ने नगर निगम अधिकारियों के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि बिना अनुमति लिए मेरे ही कार्यालय से एक कर्मचारी को हटाना मेरा अपमान करने जैसा है। इस तरह के आदेश जारी कर नगर निगम के अधिकारी मेरी आवाज को नहीं दबा सकेंगे। अधिकारियों में आखिर इतनी बेचैनी क्यों हो गई कि मेरे कार्यालय से कंप्यूटर ऑपरेटर को ही हटाने का आदेश जारी कर दिया। निगम में बरती जा रही अनियमितताओं को उजागर करती रहूंगी।
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से महापौर सुनीता दयाल नगर निगम में बरती जा रही अनियमितताओं को उजागर करने पर चर्चाओं में हैं। पिछले दिनों उन्होंने संपत्ति कर विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर किया था। राजनगर डिस्टि्रक्ट सेंटर (आरडीसी) कुछ व्यवसायिक संपत्तियों पर आवासीय दरों से कर लगाने के मामले का खुलासा किया था।
इसके बाद शहर के एक बड़े अस्पताल पर भी कम संपत्ति कर लगाकर सरकारी राजस्व के नुकसान का मामला उठाया था। इस मामले की जांच के निर्देश निगम अधिकारियों को दिए गए थे, लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिए जाने पर महापौर नाराज चल रहीं थीं।