Friday, April 25, 2025

पेरिस ओलंपिक में प्रीति पाल ने जीता पदक, गांव में हो रही स्वागत की तैयारी, घर के सामने बिछने लगीं टाइल्स

मुजफ्फरनगर। किसान की बेटी प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में देश को दो पदक दिलाए हैं। वहीं एथलीट बेटी पेरिस में दाैड़ी तो उसके घर तक सड़क भी दाैड़ गई। गांव में प्रीति के घर के आगे इंटरलाॅकिंग टाइल्स बिछाई जा रही है।

 

मुजफ्फरनगर के छोटे से गांव से पेरिस पैरालंपिक में देश को दो पदक दिलाने वाली बेटी प्रीति पाल का गांव स्वागत की तैयारियों में जुट गया है। एथलीट के मकान के सामने ग्राम पंचायत की ओर से सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। स्वागत समारोह के लिए मैदान पर तैयारी चल रही है।

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पेरिस से प्रीति पाल 10 सितंबर को अपने पैतृक गांव हाशमपुर में आएगी। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर गांव में ग्राम पंचायत की ओर से विकास कार्य कराने प्रारंभ कर दिए है। प्रीति पाल के पैतृक मकान के सामने ग्राम पंचायत की ओर से इंटरलॉकिंग सड़क लगाकर रास्ते का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। गांव में खाली पड़े एक क्रेशर में ग्रामीणों व परिजनों द्वारा सफाई कार्य कराया जा रहा है।

 

भारतीय पैरा एथलीट प्रीति पाल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महिला 200 मीटर टी35 स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया। प्रीति ने फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 30.01 सेकेंड में दौड़ पूरी की और पोडियम स्थान प्राप्त करने में सफल रहीं। प्रीति का पेरिस पैरालंपिक में यह दूसरा पदक है।

 

इससे पहले उन्होंने महिलाओं की 100 मीटर टी35 वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया था। 23 वर्षीय प्रीति का कांस्य पदक पेरिस में भारत का दूसरा पैरा एथलेटिक्स पदक भी है। इससे पहले प्रीति ने ही 100 मीटर स्पर्धा में भी पदक जीता था। टी35 में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनमें हाइपरटोनिया, अटैक्सिया और एथेटोसिस जैसी समन्वय संबंधी विकार होते हैं।

 

प्रीति पाल ने महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से कांस्य हासिल किया था। भारत ने 1984 चरण से एथलेटिक्स में जो भी पदक जीते हैं, वे सभी फील्ड स्पर्धा में मिले। मुजफ्फरनगर के किसान की बेटी प्रीति ने पैरालंपिक के दूसरे दिन भारत का एथलेटिक्स पदक का खाता खोला था और अब उन्होंने एक बार फिर कांस्य अपने नाम किया। प्रीति मई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में इसी स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के बाद पेरिस आई थीं। पैरालंपिक के 1984 चरण के बाद से भारत ने जो भी एथलेटिक्स पदक जीते थे वो सभी फील्ड स्पर्धा से आए थे।

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