Wednesday, November 6, 2024

राष्ट्रपति ने तत्काल प्रभाव से भंग की 17वीं लोकसभा

नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर यह निर्णय लिया। बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रपति को 17वीं लोकसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने की सलाह दी गई थी।

 

 

इस संबंध में राष्ट्रपति भवन ने आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रपति ने 5 जून 2024 को कैबिनेट की सलाह स्वीकार कर ली और संविधान के अनुच्छेद 85 के खंड (2) के उप-खंड (बी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 17वीं लोकसभा को भंग करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद परंपरा के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर मंत्रिपरिषद के साथ अपना इस्तीफा सौंप दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने पीएम मोदी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और नई सरकार के कार्यभार संभालने तक उनसे पद पर बने रहने का अनुरोध किया। राष्ट्रपति भवन की तरफ से बयान जारी कर बताया गया है,

 

 

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और मंत्रिपरिषद के साथ अपना इस्तीफा सौंप दिया। राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद से नई सरकार के कार्यभार संभालने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया है।” इससे पहले, बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पीएम आवास पर हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वर्तमान लोकसभा (17 वीं लोकसभा) को भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दी गई थी। पीएम आवास पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद की भी बैठक हुई जिसके बाद पीएम मोदी ने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा। इस बीच एनडीए गठबंधन ने सरकार गठन और भविष्य के राजनीतिक एजेंडे पर चर्चा भी की है।

 

 

एनडीए गठबंधन के नेता राष्ट्रपति से मुलाकात कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएम मोदी सहित केंद्र सरकार के सभी वर्तमान मंत्रियों को बुधवार रात रात को डिनर पर भी आमंत्रित किया है। मंगलवार को आए चुनावी नतीजों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को फिर से बहुमत मिला है। लेकिन चुनावी नतीजों ने भाजपा के सहयोगियों चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू की भूमिका को महत्वपूर्ण बना दिया है।

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