नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर पर ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कामगारों के लिए पारंपरिक कौशल के परिवार आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना है।
रविवार को आईआईसीसी में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने योजना से जुड़े प्रतीक चिन्ह, टैग लाइन और पोर्टल लाॅन्च किया। उन्होंने कस्टमाइज 18 डॉक टिकट का डिजिटल उदघाटन किया। यह डॉक टिकट 18 विश्वकर्मा व्यवसायों से जुड़ी हैं, जिन्हें योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा टूलकिट ई-बुकलेट भी रिलीज की गई। इसमें इन व्यवसायों से जुड़े 249 टूल की जानकारी दी गई है। यह ई-बुकलेट 12 भाषाओं में उपलब्ध होगी और विश्वकर्मा कर्मियों को उनके काम को उन्नत करने में मदद करेगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने 18 व्यावसयों से जुड़े विश्वकर्माओं को प्रमाण पत्र भी सौंपे।
कार्यक्रम में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और शिक्षा मंत्री तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद रहे। इससे पहले उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर (आईआईसीसी) के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित किया।
उल्लेखनीय है कि पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें बढ़ई, नौका निर्माता, शस्त्र साज करने वाला, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची (जूता कारीगर), राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाड़ू निर्माता, कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी, और मछली पकड़ने का जाल बनाने वालाें को शामिल किया गया हैं। यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। इसके तहत पीएम विश्वकर्मा को 13 हजार करोड़ रुपये से केंद्र सरकार पूरी तरह से वित्त पोषित करेगी। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15 हजार रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी।