वाराणसी। नाटी इमली का ऐतिहासिक भरत मिलाप देश दुनिया के लीला प्रेमियों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तमाम व्यस्तता के बावजूद दिल्ली से देखा और अपने एक्स अकाउंट पर इसकी तस्वीरें साझा की। दिल को छूने वाला संदेश दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि काशी में लक्खा मेला के तहत होने वाला भरत मिलाप भारत की सनातन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। लगभग पांच सदियों से चली आ रही इस प्रस्तुति ने एक बार फिर प्रभु श्रीराम के भक्तों को भावविभोर कर दिया। काशी के सांसद होने के नाते मुझे इस परंपरा को लेकर विशेष गर्व की अनुभूति हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक्स अकाउंट पर लिखी पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लिखा कि काशी की इस समृद्ध परंपरा में सनातन चेतना की जीवंत अभिव्यक्ति होती है। दशकों से काशी की भरत मिलाप लीला रामराज्य के मूल्यों और आदर्शों को व्यापकता प्रदान कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी नाटी इमली भरत मिलाप की तस्वीरें एक्स अकाउंट पर साझा की। अखिलेश यादव ने लिखा कि वाराणसी में ‘भरत मिलाप’ की सदियों पुरानी परम्परा आज भी निरंतर है। आशा है जब कभी क्योटो बनेगा तब भी ये निरंतर रहेगी।
उल्लेखनीय है कि गोस्वामी तुलसीदास के समकक्ष मेघा भगत ने 480 साल पहले इस लीला को शुरू किया था। काशी में मान्यता है कि नाटी इमली भरत मिलाप में स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कुछ क्षण के लिए अवतरित होते हैं। अनूठी निर्मल भाव निहित इस पांच मिनट की अलौकिक रामलीला को निहारने के लिए भारत ही नहीं, विदेशों तक से श्रद्धालु आते हैं। लोगों में भगवान राम की भक्ति का रंग इस कदर चढ़ती है कि नाटी इमली मैदान और मार्ग का हर कोना राममय हो जाता है। रामलीला स्थल पर छतों, बारजों से पुष्पवर्षा होती रहती है। इस भरत मिलाप में काशी नरेश के साथ पूरी काशी पूरे श्रद्धाभाव से शामिल होती है।