जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने आज राहुल गांधी के राजस्थान के चुनावी दौरे और तारानगर में दिए बयान पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव आते ही प्रदेश में राहुल गांधी के दौरे शुरू हो जाते हैं। इस बार वे चुनाव से 10 दिन पहले सक्रिय हुए हैं। उनकी स्मृति से पिछले चुनावों के वादों की यादें धूमिल हो चुकी है, इसलिए केंद्र सरकार को मनगढ़ंत मुद्दों पर कोसने के अलावा उनके पास अपनी सरकार के जनहित और विकास के कामों का कोई तथ्य नहीं था। पिछले वादों के अनुसार न तो किसानों के कर्ज माफ हुए, न गरीबों की गरीबी समाप्त हुई। वे गहलोत सरकार से पांच साल का हिसाब मांगने के स्थान पर केंद्र सरकार पर तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं, यह उनके हार के भय को स्पष्ट दिखा रहा है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि राहुल गांधी आलू से सोना बनाने की बात करते हैं, लेकिन यहां कांग्रेस राज में सरकारी कार्यालय जो करोड़ों रुपया और सोना उगल रहें है, इस पर राहुल गांधी कुछ नहीं बोलते। जिन उद्योगपतियों पर राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हीं से एमओयू करके काम कर रहे हैं। क्या यह बात राहुल गांधी नहीं जानते?
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा पिछले 70 वर्षों से कांग्रेस देश की गरीबी मिटाने की बात कर रही है, लेकिन आज तक गरीबी नहीं मिटी। चुनाव से कुछ महीने पहले इन्हें गरीब लोग याद आ जाते हैं और चुनाव जीतते ही उनसे मुंह फेर लेते हैं। गरीबों के कल्याण और उत्थान का काम तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने किया है। जितने मकान पिछले 60 सालों में कांग्रेस ने बनाकर नहीं दिए उससे अधिक गरीबों को मकान पिछले 9 वर्ष में मिल चुके हैं। किसानों को आर्थिक संबल और उनकी आय बढ़ाने वाली योजनाएं पिछले 60 सालों में नहीं आई उससे कहीं अधिक 9 सालों में आ चुकी है। बैंक में गरीबों के खाते खुलवाने का काम मोदी सरकार ने किया है, ताकि गरीबों के हक का पूरा पैसा उन तक पहुंचे।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है। भाजपा ने कभी नहीं कहा कि सिर्फ हिन्दी पढ़ो, अंग्रेजी नही। राहुल गांधी हिन्दी भाषा पर ओछी मानसिकता वाली टिप्पणी कर रहें है, केन्द्र की मोदी सरकार ने अपनी शिक्षा नीति में हिन्दी और अंग्रेजी दोनो ही भाषाओं के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी महत्व दिया है। केवल कागजों में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल देने से बच्चे अंग्रेजी नहीं सीख सकते, इसके लिए वहां पर शिक्षकों की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। कांग्रेस की गहलोत सरकार द्वारा खोले गए अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में ना तो शिक्षक है और ना ही पर्याप्त व्यवस्था।