नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के एक आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सदस्य के रूप में अपनी अयोग्यता के बाद समय सीमा के अंतिम दिन शनिवार को दिल्ली में 12, तुगलक लेन स्थित अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया। कांग्रेस नेता 2005 से इस घर में रह रहे थे। नियमों के अनुसार, एक अयोग्य सांसद सरकारी आवास का हकदार नहीं होता और उसे अयोग्यता के एक महीने के भीतर इसे खाली करना होता है।
राहुल गांधी अपनी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ शनिवार सुबह से दो बार बंगले का दौरा कर चुके हैं। आखिरी बार अपने सरकारी आवास से निकलते वक्त राहुल गांधी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा मिली है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि वह अब उस घर में नहीं रहना चाहते, क्योंकि यह उन्हें भारत के लोगों द्वारा दिया गया था, लेकिन अब इसे छीन लिया गया है। उन्होंने 18 साल तक संसद सदस्य बने रहने में योगदान के लिए देश की जनता का आभार जताया और कहा कि वह सच बोलने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी मां सोनिया गांधी के आवास 10, जनपथ में रहेंगे, जब तक कि वह कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर लेते।
राहुल ने खाली फ्लैट का एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, “इन दिनों सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ती है! कीमत जो भी हो, मैं चुकाऊंगा।”
घर के गेट पर ताला लगाने के बाद राहुल गांधी ने संबंधित अधिकारियों को चाबियां सौंप दीं।
प्रियंका गांधी ने भी अपने भाई के प्रति अपना समर्थन जताते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा सच बोला है और अब सरकार के खिलाफ बोलने के परिणाम भुगत रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मेरे भाई ने जो कुछ भी कहा है वह सच है। उन्होंने सरकार के खिलाफ बोला और यह उसी का नतीजा है।”