Saturday, May 11, 2024

मासूम बच्चियों से दुष्कर्म जीवन के मूल अधिकारों के खिलाफ जघन्य अपराध : हाईकोर्ट

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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि छोटी बच्चियों की देश में पूजा होती है। किंतु दिन-ब-दिन मासूम बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही। छह साल की बच्ची से दुष्कर्म का जघन्य अपराध, जिसका मतलब वह नहीं जानती, न केवल पीड़िता व समाज ही नहीं, जीवन के मूल अधिकारों के खिलाफ अपराध है। यदि ऐसे अपराधियों के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ तो लोगों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।

 

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कोर्ट ने कहा अक्सर पीड़िता दुष्कर्म अपराध की रिपोर्ट नहीं करती। परिवार भी इज्जत बचाने के लिए मौन रह जाता है। 12 साल से कम आयु की बच्चियों से दुष्कर्म की सजा बीस साल की कैद से बढ़ाकर उम्र कैद की सजा कर दी गई है। पीड़िता छह साल की बच्ची का बयान कि उसे मारा और पकड़कर खेत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। शोर मचाने पर महिलाओं ने बचाया, तो वह भाग गया। पिता ने पीड़िता के बताने पर एफ आई आर दर्ज कराई।

 

कोर्ट ने छह वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म के अपराध को हीनियस बताते हुए अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने छोटू उर्फ जुल्फिकार की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

 

घटना 7 मई 23 की शाम साढ़े छह बजे की है। जब खेल रही बच्ची को याची पकड़कर खेत में ले जाकर घृणित दुष्कर्म किया। पिता ने बागपत थाने में एफआईआर दर्ज कराई। याची का कहना था कि पार्टी बंदी के कारण उसे झूठा फंसाया गया है। वह 8 मई 23 से जेल में बंद है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

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