हम संसार में घृणा, शत्रुता और ईर्ष्या की अग्रि न जलाये, हम सब प्यार के साथ रहें। हम अपने चारों ओर के वातावरण को सुखद और सुन्दर बनाये।
हमारे ऋषि, मुनि और मनीषी यह बताते आये हैं कि हम सभी उस एक ईश्वर की संतान हैं। इस लिए सभी को उससे नाता जोड़ना चाहिए। उससे जुड़कर ही जागरूकता आयेगी। आनन्द का अनुभव होगा।
जब हमें यह बोध हो गया कि हम सब एक परमपिता की ही सन्तान होने से भाई-भाई हैं, हम अलग-अलग नहीं है, तो सारे झगड़े ही समाप्त हो जायेंगे। जब हमें यह बोध हो गया तो हमारे बीच की सब दीवारें ही समाप्त हो जायेंगी।
जिनके जीवन में यह जागृति आ गई और सत्य का बोध हो गया तो वे स्वयं तो प्रभु से जुडेंगे ही, औरों को भी इस सत्य का ज्ञान कराते हुए प्रेरणा देंगे।
सभी में एक नूर है, सभी उस नूर का अंश हैं। चाहे कोई गुजराती, हरियाणवी, राजस्थानी, मारवाडी, पंजाबी हो या अरबी, अमेरिकन हो या इंगलिशतानी सभी में उस प्रभु का ही नूर नजर आयेगा। इस धरती पर जितने भी बखेड़ेे हैं ये उन्हीं के कारण है, जिनकी मान्यताएं ज्ञान, सत्य और बोध पर आधारित नहीं है।