टोक्यो। वैज्ञानिकों की एक टीम ने डार्क मैटर की खोज में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस टीम ने नई स्पेक्ट्रोग्राफी तकनीक और चिली में स्थित मैगलन क्ले टेलीस्कोप का उपयोग करके दो आकाशगंगाओं, लियो वी और टुकाना II से आने वाले प्रकाश का निरीक्षण किया। टोक्यो मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर वेन यिन के नेतृत्व में यह शोध हुआ। वैज्ञानिकों ने इस अवलोकन में स्पेक्ट्रम के इंफ्रारेड रीजन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। शोधकर्ताओं ने केवल चार घंटे के अवलोकन के बाद इन्फ्रारेड लाइट से डार्क मैटर के बारे में पता लगाया है कि यह कितने समय तक रह सकता है। उनके शोध परिणामों को “फिजिकल रिव्यू लेटर्स” जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
इसमें बताया गया है कि नई तकनीक ने उन हिस्सों में खोज को बढ़ाया है जिनका अब तक कम अध्ययन हुआ था। यह शोध ब्रह्मांड विज्ञानियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि वे लंबे समय से ब्रह्मांड में मौजूद असंगतियों को समझने की कोशिश कर रहे थे। शोधकर्ताओं ने एक खास चीज, ऐक्सियनलाइक पार्टिकल (एएलपी), पर ध्यान दिया, जो डार्क मैटर हो सकता है। वे इस कण के बारे में अध्ययन कर रहे थे कि यह कैसे “खत्म” होता है और जब यह ऐसा करता है तो स्वतः प्रकाश उत्सर्जित होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन्फ्रारेड रोशनी में इसे देखना आसान होगा। लेकिन, इन्फ्रारेड रोशनी में भी कुछ ढूंढना मुश्किल हो जाता है। पिछली बार, वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका निकाला था।
उन्होंने देखा कि जो रोशनी हमारे आस-पास हमेशा रहती है, उसमें कई तरह के रंग मिले होते हैं। लेकिन, जब कोई चीज़ टूटती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी में लगभग एक ही रंग होता है। जैसे जब हम प्रिज्म से रोशनी गुजारते हैं, तो अलग-अलग रंग फैल जाते हैं और धुंधले हो जाते हैं, वैसे ही अगर रोशनी एक ही रंग की हो, तो वह बहुत तेज और साफ दिखती है। इस तकनीक की सटीकता के कारण, टीम ने पास की इन्फ्रारेड रोशनी में पाए गए सभी प्रकाश का सांख्यिकीय सटीकता से हिसाब लगाया। उन्होंने देखा कि रोशनी कम नहीं हुई। इससे उन्होंने यह पता लगाया कि ‘एएलपी’ कण कितनी जल्दी गायब हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि सेकंड में उनकी नई निचली सीमा 10 है जिसके बाद 25 से 26 शून्य हैं। यह ब्रह्मांड की उम्र से भी सौ मिलियन गुना ज़्यादा है।