नई दिल्ली। दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद हमीम और कौसर मोहम्मद ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें फेसबुक पर रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ घृणित और भड़काऊ कंटेंट के लिए हस्तक्षेप की मांग की गई है।
जनहित याचिका में मेटा को ऐसी सामग्री के प्रसार को रोकने और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हेट स्पीच और हिंसा को बढ़ावा देने वाले कंटेंट को नष्ट करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील कवलप्रीत कौर ने आरोप लगाया है कि भारत में उत्पन्न होने वाली झूठी खबर और हानिकारक सामग्री फेसबुक पर रोहिंग्या शरणार्थियों को लक्षित करती है, और मंच जानबूझकर ऐसी सामग्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि फेसबुक के एल्गोरिदम ऐसी हानिकारक सामग्री को बढ़ावा देने में योगदान करते हैं।
याचिका में भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी के राजनीतिकरण पर जोर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि समुदाय को खतरे के रूप में बताया जाता है, अक्सर ‘आतंकवादी’ और ‘घुसपैठिए’ जैसे शब्दों का उपयोग किया जाता है।
याचिका में इक्वेलिटी लैब के 2019 के एक अध्ययन का हवाला दिया गया है, जिसमें खुलासा किया गया है कि भारत में फेसबुक पर इस्लामोफोबिक पोस्ट का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत विशेष रूप से रोहिंग्या को टारगेट करता है, बावजूद इसके कि भारत की मुस्लिम आबादी में उनका प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर है।
जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि हेट स्पीच के खिलाफ कार्रवाई करने में फेसबुक की विफलता रोहिंग्याओं के लिए खतरा है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
हामीम और मोहम्मद ने रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाले अकाउंट को निलंबित करने और पारदर्शी रूप से रिपोर्ट करने के लिए मेटा को निर्देश देने की मांग की है।